मिशन 2023: भितरघातियों-बागियों की रिपोर्ट के आधार पर भाजपा में होगा रिफॉर्म, कांग्रेस में चार विधायकों ने छोड़ा जिलाध्यक्ष पद | what BJP and Congress will do in 2023 Elections | Patrika News

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मिशन 2023: भितरघातियों-बागियों की रिपोर्ट के आधार पर भाजपा में होगा रिफॉर्म, कांग्रेस में चार विधायकों ने छोड़ा जिलाध्यक्ष पद | what BJP and Congress will do in 2023 Elections | Patrika News

मिशन 2023: भितरघातियों-बागियों की रिपोर्ट के आधार पर भाजपा में होगा रिफॉर्म, कांग्रेस में चार विधायकों ने छोड़ा जिलाध्यक्ष पद | what BJP and Congress will do in 2023 Elections | Patrika News

इसी काे लेकर कम से कम नुकसान में ज्यादा से ज्यादा चुनावाें के दाैरान लाभ की नीति के तहत दाेनाें ही पार्टियां अपनी नई-नई याेजनाएं बनते हुए अपने फाेकस वाेट बैंक काे अपने पास रखने व दूसरे की वाेट बैंक में सेंध लगाने की तैयारियां करती दिख रही हैं।

किस पार्टी की क्या है तैयारी ऐसे समझें-
भाजपा: संगठन में निचले स्तर तक फेरबदल कर मैदान में उतरेगी पार्टी-
विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश भाजपा ने संगठन को मजबूत व रिफॉर्म करके आगे कदम बढ़ाना तय किया है। निकाय व पंचायत चुनाव के नतीजों, फीडबैक और जिलों से मंगाई गई रिपोर्ट के आधार पर जिलाध्यक्षोंं से लेकर चुनाव प्रभारी और बूथ प्रभारी तक कसावट लाई जाएगी। यही वजह है कि जिन-जिन के खिलाफ भितरघात, बगावत या अन्य किसी प्रकार से पार्टी के खिलाफ काम करने की शिकायतें आई हैं, उन सबको जांच-परखकर एक्शन लिया जा सकता है।

निकाय चुनाव में जिलों से लेकर बूथ तक कई नेताओं के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। बूथ स्तर पर भी टीमों को लेकर संगठन संतुष्ट नहीं है। पूरी स्थिति को जांचकर ही अब आगे कदम उठेंगे।

वोट बैंक प्राथमिकता
पार्टी की लाइन अब 2023 का मिशन है। इसके लिए दलित, आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक को प्राथमिकता पर रखना तय किया है। इनके प्रभाव वाले इलाकों को लेकर स्क्रूटनी होगी। इन वोट बैंक के हिसाब से भी टीमों को तैयार किया जाएगा। मुद्दों को लेकर काम होगा। भाजपा के बूथ विस्तारीकरण में भी इस पर फोकस किया गया है।
उधर, भाजपा का बूथ नेटवर्क काफी मजबूत हो चुका है, लेकिन इसमें जिन नेताओं के खिलाफ शिकायतें हैं उनको बदला जा सकता है।

कांग्रेस: चुनाव लडऩे विधायकों को छोडऩी होगी संगठन की जिम्मेदारी
वहीं दूसरी ओर राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति के तहत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने संगठन की मजबूती पर फोकस किया है। फील्ड में सक्रिय कांग्रेसियों को पार्टी मौका देगी, वहीं निष्क्रिय जिलाध्यक्षों की छुट्टी होगी।
साथ ही विधायकों से भी कह दिया गया है कि जिन्हें चुनाव लडऩा है, उन्हें संगठन की जिम्मेदारी छोडऩा होगी। इसी के तहत दोहरी जिम्मेदारी विधायकों ने जिलाध्यक्ष पद छोडऩा शुरू कर दिया है।

कमलनाथ ने एक-एक विधानसभा क्षेत्र की रिपोर्ट मंगाई है। विधायकों के काम-काज का आकलन भी है। कई विधायक ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्ट अच्छी नहीं है। उन्हें इस बारे में बता दिया गया है।

दिया जाएगा प्रभार
फंदेलाल मार्को अनूपपुर, झूमा सोलंकी खरगोन, हर्ष विजय गहलोत रतलाम ग्रामीण और राकेश मावई मुरैना ने जिला अध्यक्ष पद छोड़ा है। जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद अन्य पदाधिकारियों को प्रभार दिया जाएगा। अन्य जिलाध्यक्षों को भी हटाने की तैयारी है। इनमें वे जिलाध्यक्ष शामिल हैं, जिन्होंने निकाय, पंचायत चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार के पक्ष में काम नहीं किया। पार्टी गतिविधियों में इनकी सक्रियता न होना भी शामिल है।



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