मास्टर प्लान के क्या मायने, कैसे संवरेगी दिल्ली, इन 6 सवालों से समझें पूरी बात

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मास्टर प्लान के क्या मायने, कैसे संवरेगी दिल्ली, इन 6 सवालों से समझें पूरी बात

मास्टर प्लान के क्या मायने, कैसे संवरेगी दिल्ली, इन 6 सवालों से समझें पूरी बात

1. मास्टर प्लान की जरूरत क्यों पड़ी?

मास्टर प्लान एक तरह से राजधानी के विकास का रोडमैप है। इसमें तय किया जाता है कि राजधानी में विकास कैसे होगा। अगले 20 साल में क्या बदलाव होने जा रहे हैं। प्रकृति, पर्यावरण, आम लोग और सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखते हुए दिल्ली की इकनॉमी को बढ़ावा देते हुए इसे तैयार किया जाता है।

2. मास्टर प्लान 20 साल के लिए ही क्यों बनता है?

दिल्ली का पहला मास्टर प्लान 1962 में तैयार हुआ था। पिछला मास्टर प्लान 2021 तक मान्य था। नया मास्टर प्लान 2021 के अंत तक आ जाना चाहिए था। लेकिन इसे बनाना जटिल प्रक्रिया है। यह 20 साल का आइना होता है। इसलिए इसमें समय लग जाता है। मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन अफेयर की मंजूरी मिलने तक यह ड्राफ्ट ही रहेगा। माना जाता है कि 20 साल में शहर की आबादी और जरूरतें बदल जाती हैं। 20 साल में 2 बार जनगणना हो जाती है। जनगणना के आधार पर शहर की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे 20 साल के लिए ही तैयार किया जाता है। इस बार यह 2 साल लेट हो चुका है।

3. मास्टर प्लान-2021 में खामियां रहीं। कई बार संशोधन करने पड़े। इस बार गलतियां दोहराने के लिए क्या किया गया है?

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मास्टर प्लान एक बड़ी टीम मिलकर तैयार करती है। कोशिश की जाती है कि इसमें कमियां न हों। इसके लागू होने के बाद कुछ समस्याएं भी दिखती हैं। इन्हें बाद में संशोधन से दूर किया जाता है। इस बार का ड्राफ्ट मास्टर प्लान बनाने काफी समय लगाया गया है। पहली बार ड्राफ्ट प्लान के लिए डीडीए ने हर वर्ग जैसे स्टूडेंट, महिलाओं, व्यापारियों, कामगारों, आरडब्ल्यूए, एनजीओ, पर्यावरण एक्टिविस्टों से लंबी बातचीज की है। सबकी राय को इसमें शामिल किया गया है।

4. पुराने बसे इलाकों के रीडिवेलपमेंट की बात 2021 के मास्टर प्लान में भी थी। यह उससे कैसे अलग है?

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इस बार रीडिवेलपमेंट के लिए नियम तय किए गए हैं। अतिरिक्त एफएआर देने की बात है। इससे अनप्लांड एरिया में भी ऊंची बिल्डिंगें बनेंगीं। एक बिल्डिंग में कई परिवार रह सकेंगे। जो जगह बचेगी, वहां अस्पताल, स्कूल, पार्क, चौड़ी सड़कें बनाई जाएंगी। ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों को रीडिवेलप करने के लिए भी नियम आसान बनाए गए हैं।

5. पहली बार नाइट लाइफ इकनॉमी की बात की जा रही है। असुरक्षित दिल्ली में यह संभव होगा?

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इकनॉमी को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली जैसे शहरों में नाइट लाइफ इकनॉमी की जरूरत काफी समय से है। यह एकदम से नहीं होगा। चलन धीरे-धीरे बढ़ेगा। पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट, पुलिस, स्ट्रीट लाइटों को बेहतर किया जाएगा। नाइट टाइम सर्किट की पहचान की जाएगी। विशेष कॉरिडोर और ट्रेल्स की पहचान की जाएगी। शुरुआत में यह सब चुनिंदा जगहों पर ही होगा और इसके बाद आगे बढ़ता जाएगा।

6. मास्टर प्लान बन जाते हैं लेकिन उन्हें लागू करने में समस्याएं आती हैं। उसके हिसाब से काम नहीं होते। क्यों?

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इसके कई कारण हैं। दिल्ली में मल्टी एजेंसी सिस्टम है। केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से भी यहां पेचिदगियां अधिक हैं। कुछ विभाग दिल्ली सरकार के पास हैं तो कुछ केंद्र सरकार के पास हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप भी बाकी शहरों की तुलना में अधिक है। जगह की काफी कमी है। लोगों ने नियम तोड़कर अपने घर और दुकानें बना ली हैं। ऐसे में तालमेल की कमी सबसे बड़ी बाधा रहती है।

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