भारत को ‘दोस्‍त’ रूस से अलग करना चाहता है जर्मनी, पश्चिम के झांसे में आएंगे पीएम मोदी ?

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भारत को ‘दोस्‍त’ रूस से अलग करना चाहता है जर्मनी, पश्चिम के झांसे में आएंगे पीएम मोदी ?

बर्लिन: यूक्रेन पर भीषण हमले कर रहे रूस पर शिंकजा कसने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। इन देशों ने रूस के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन इनका रूस पर कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब यूरोपीय संघ ने रूस के दोस्‍तों को तोड़ने की कोशिश तेज कर दी है। यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत जर्मनी के निशाने पर ‘तटस्‍थ’ चल रहा भारत है और जर्मन चांसलर ओलाफ स्‍चोल्‍ज ने पीएम मोदी को G-7 की बैठक में विशेष अतिथि के रूप में बुलाने की योजना बना रहे हैं।

जर्मनी की कोशिश है कि अगले महीने होने वाली जी-7 की शिखर बैठक में पीएम मोदी को बुलाया जाए और यूक्रेन में तबाही मचा रहे रूस के खिलाफ एक व्‍यापक अंतरराष्‍ट्रीय गठबंधन बनाया जाए। जर्मनी इस समय जी-7 का अध्‍यक्ष है और उसकी योजना इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और सेनेगल के भी नेताओं को 26 जून से 28 जून तक चलने वाली शिखर बैठक में बुलाने की है। ब्‍लूमबर्ग के मुताबिक इस संबंध में घोषणा सोमवार को हो सकती है। पीएम मोदी इस समय जर्मनी के दौरे पर हैं और उनका बर्लिन जर्मन चांसलर से मिलने का कार्यक्रम है।

‘रूस को अलग-थलग करने में भारत एक महत्‍वपूर्ण भागीदार’
कुछ सप्‍ताह पहले तक जर्मन चांसलर भारत के यूक्रेन पर रूसी हमले की आलोचना नहीं करने पर जी-7 में पीएम मोदी को न्‍योता देने को लेकर कोई फैसला नहीं ले पाए थे। सूत्रों के मुताबिक हालांकि अब जर्मन चांसलर ने फैसला किया है कि जी-7 को भारत का साथ लेना चाहिए क्‍योंकि उसकी आबादी बढ़ रही है और लोकतंत्र की परंपरा रही है। जर्मन नेता को भी यह भी अहसास हुआ कि रूस को अलग-थलग करने में भारत एक महत्‍वपूर्ण भागीदार हो सकता है।

चांसलर ओलाफ स्‍चोल्‍ज इस मौके को पीएम मोदी के साथ जलवायु परिवर्तन और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के रूप में देख रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जर्मनी की सरकार चाहती है कि भारत के साथ द्व‍िपक्षीय रिश्‍तों को मजबूत किया जाए। साथ ही भारत को आर्थिक प्रलोभन देकर उसे अपने पाले में लाया जाए ताकि वह रूस के साथ अपने संबंधों के बारे में फिर से विचार करे। पीएम मोदी के साथ मुलाकात के दौरान जर्मन चांसलर पेशेवर कामगारों के लिए आव्रजन नियमों में और ज्‍यादा ढील देने पर बात करेंगे ताकि जर्मनी में मजदूरों की समस्‍या को दूर किया जा सके।

‘भारत को रूसी हथियारों का विकल्‍प मुहैया कराएं’
मध्‍यावधि में जर्मनी यह भी चाहता है कि यूरोप की रक्षा कंपनियां भारत को रूसी हथियारों का विकल्‍प मुहैया कराएं ताकि मास्‍को पर नई दिल्‍ली की निर्भरता कम हो सके। हालांकि इस संबंध में सोमवार को किसी डील की अपेक्षा नहीं है। दरअसल, रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद चांसलर ओलाफ चाहते हैं कि जर्मनी के राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को दुनिया के लोकतांत्रिक रूप से शासित देशों के साथ संबंध को मजबूत किया जाए। यही वजह है कि उन्‍होंने चीन की बजाय जापान की सबसे पहले यात्रा की।

जर्मनी ने रूस के खिलाफ आने के लिए भारत को यह जी-7 का झांसा ऐसे समय पर दिया है जब भारत समेत 50 देश संयुक्‍त राष्‍ट्र में रूस के खिलाफ वोट देने से दूर रहे थे। भारत ने साफ कह दिया है कि वह रूस के खिलाफ वोट नहीं करेगा और दोस्‍ती भी बनी रहेगी। यूक्रेन जंग में रूस के खिलाफ जाने के लिए भारत पर अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देश दबाव डाल चुके हैं। अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि जर्मनी के इस ताजा प्रस्‍ताव पर पीएम मोदी क्‍या रुख अपनाते हैं।



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