भाजपा के लिए जीत बूस्टअप डोज, कांग्रेस के लिए बडा सबक

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भाजपा के लिए जीत बूस्टअप डोज, कांग्रेस के लिए बडा सबक

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– मिशन 2023 के लिए दोनों पार्टियों के लिए मायने रखेंगे ये नतीजे, अब इसी आधार पर बनेगी आगे की रणनीति
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[email protected]भोपाल। प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा की तीन सीटों पर जीत अब मिशन 2023 के लिए बूस्टअप डोज साबित होगी। दरअसल, भाजपा ने कांग्रेस के परंपरागत सीटों को इस बार भेद दिया। इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी रहेगा। अब भाजपा उन सीटों पर भी फोकस कर सकती है, जो सीटें अभी तक अभेद रही है। इसलिए अब दो साल की रणनीति प्रदेश संगठन तैयार करके काम करेगा। वही दूसरी ओर कांग्रेस के लिए रैगांव सीट जीत का पैगाम लाई, तो बाकी सीटों झटके रणनीतिक विफलता को उजागर करते है। इसलिए कांग्रेस को भी आगामी चुनाव के लिए नए सिरे से रणनीतिक तैयारी करनी होगी। पढिए, किसकी क्या स्थिति और आगे की रणनीतिक जरूरतें….
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तीन सीट का सबक-
भाजपा के लिए : पृथ्वीपुर और जोबट की जीत ने भाजपा के लिए प्रयोगवादी तरीके की नई राह खोल दी है। दोनों ही जगह पर भाजपा ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर भरोसा करके चुनाव मैदान में उतारा। दोनों सीटों पर यह सफल रहा। इसलिए आने वाले समय में दल-बदल की राजनीति को और बढ़ावा मिल सकता है। इतना ही नहीं कांग्रेस के मजबूत नेताओं का भरोसा भी ऐसी सीटों पर बिखर सकता है। इसलिए प्रदेश संगठन अब आगे की रणनीति इसी हिसाब से तैयार करेगा। खंडवा सीट पर भाजपा का प्रयोग भी सफल रहा, जो लोकल क्षत्रपों को दरकिनार करके भी जीत हासिल कर सका। अब आगामी चुनावों में इसी तरह क्षेत्रीय क्षत्रपों से भाजपा ज्यादा बेखौफ होकर निर्णय कर सकेगी।
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कांग्रेस के लिए : उपचुनाव में यूं तो सत्ता पक्ष का हमेशा दबदबा रहता है, लेकिन कांग्रेस के लिए परंपरागत सीट खोना बड़ा झटका है। कांग्रेस को दोनों सीटों पर इस प्रकार की उम्मीद नहीं थी, इसलिए यह झटका कांग्रेस की रणनीति विफलता को साबित करता है। कांग्रेस को अब अपनी परंपरागत सीटों पर ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। 2023 के चुनाव के लिए कांग्रेस को अब पहला काम अपने गढ़ और सीट बचाने पर करना होगा। इतना ही नहीं कांग्रेस को अब हर सीट पर सेकंड लाइन विकसित करना पड़ेगी, ताकि दलबदल का दांव उसे कमजोर न कर सके। खंडवा सीट पर अंदरूनी राजनीति कांग्रेस को भारी पडी है, इसलिए आगे चुनाव में कांग्रेस को गुटीय सियासत से उभरना होगा। फिलहाल कांग्रेस इन सीटों के हार के विश्लेषण में जुटी है।
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रैगांव सीट का सबक-
भाजपा के लिए : रैगांव सीट पर हार की कसक भाजपा में बरकरार रही है। रैगांव भाजपा की सीट थी, जो उसके हाथ से फिसल गई। तीन सीटों पर जीत के बाद रैगांव सीट हाथ से निकल जाना कसकभरा रहा है। यहां टिकट के फैसले में भाजपा से चूक हो गई। अब आगे 2023 के लिए टिकटों के चयन में भाजपा को और सतर्क रहना होगा। साथी ही स्थानीय समीकरणों को और ध्यान रखना पड़ेगा। भाजपा ने सीट की हार का विश्लेषण करना भी तय किया है। आगे इसके नतीजे सामने आ सकते हैं।
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कांग्रेस के लए : रैगांव सीट की जीत कांग्रेस संगठन से ज्यादा प्रत्याशी के लोकल नेटवर्क और भाजपा की खामियों का नतीजा है। इसलिए कांग्रेस को इस रणनीति पर चलना होगा कि भाजपा की खामियों को फायदा उठा सके। फिलहाल कांग्रेस इस जीत को भी आकलित कर रही है। दमोह जीत के बाद इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने जो रणनीति अपनाई वह सफल रही, लेकिन दूसरी दो सीटों पर रणनीतिक भूल ने इस जीत का असर कम कर दिया है। कांग्रेस इस सीट के समीकरणों को आगे भी ध्यान रखेगी।
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