बेदम विपक्ष, महाविकास अघाड़ी में बिगाड़ी, विपक्ष की खाली जगह को भर रहे हैं सत्ताधारी, नागपुर में कमजोर दिखी MVA

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बेदम विपक्ष, महाविकास अघाड़ी में बिगाड़ी, विपक्ष की खाली जगह को भर रहे हैं सत्ताधारी, नागपुर में कमजोर दिखी MVA

बेदम विपक्ष, महाविकास अघाड़ी में बिगाड़ी, विपक्ष की खाली जगह को भर रहे हैं सत्ताधारी, नागपुर में कमजोर दिखी MVA


नागपुर: महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानमंडल का शीतकालीन सत्र लोकायुक्त संशोधन विधेयक की मंजूरी और ऐतिहासिक पूरक मांगों के लिए जाना जाएगा। सत्र के दौरान नागपुर (Nagpur) के विधान भवन की सीढ़ियों पर भले ही विरोधी दल ने एकता दिखाई, लेकिन सदन की कार्यवाही में उनकी एकता तार-तार हो गई। सत्ताधारी दल के विधायक ही विधानसभा के वेल में आकर विपक्ष के खिलाफ नारेबाजी करते दिखाई दिए। हालांकि, विपक्ष ने बार-बार आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (Rahul Narvekar) बोलने नहीं देते। इसी से नाराज होकर उन्होंने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का पत्र सत्र के खत्म होने की पूर्व संध्या पर सचिव को दिया, जिसे राजनीतिक हलकों में बेदम माना जा रहा है।

नागपुर में शीतकालीन सत्र शुरू होने की पूर्व संध्या पर हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लोकायुक्त संशोधन विधेयक को हरी झंडी दी। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री और उनका उनका पूरा मंत्रिमंडल लोकायुक्त की जांच के दायरे में आएगा, लेकिन सदन में जब विधेयक रखा गया तो बहुत सारी खामियां सामने आईं। विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना चर्चा के ही लोकायुक्त संशोधन विधेयक-2022 मंजूर कर लिया। हालांकि, सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया कि समासेवक अन्ना हजारे जिस तरह के लोकायुक्त चाहते हैं, उसी तरह का बनाया गया है। पूरक मांगों ने भी इतिहास रचा। महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार शीतकालीन सत्र के दौरान नागपुर में करीब 52 हजार करोड़ रुपये की मांग मंजूर की गई।

विपक्ष के निशाने पर मंत्री
ठाकरे गुट के नेता और विधानपरिषद में विपक्षी नेता अंबादास दानवे ने शिंदे गुट के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इस्तीफे मांगे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर नागपुर में भूमि घोटाले का आरोप लगाया, जबकि मुख्यमंत्री के करीबी कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार पर चारागाह जमीन घोटाला लगाया। शिंदे सरकार के कैबिनेट मंत्री उदय सामंत, संजय राठोड और शंभूराज देसाई पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए। दानवे ने कई और मंत्रियों के घोटाले और भ्रष्टाचार उजागर करने का दावा किया, लेकिन तब तक सत्र ही खत्म हो गया। इसके अलावा राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी भी विपक्ष के नारेबाजी का निशाना बने। उन पर महापुरुषों के अपमान का आरोप लगाया।

आरोपों से गूंजता रहा सदन
सत्ता और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप के लिए भी शीतकालीन सत्र 2022 जाना जाएगा। चूंकि, शिंदे सरकार के कई मंत्री उद्धव ठाकरे सरकार में भी मंत्री थे, इसलिए विपक्ष सरकार पर हमला करने से कतराता रहा। कृषि मंत्री पर जब चारागाह जमीन और टीईटी घोटाले का आरोप लगाया गया तब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हमलावर के रूप में थे। सीधे कहते थे कि उद्धव ठाकरे की सरकार के समय के घोटाले है। बोलने में माहिर फडणवीस के सामने विपक्ष लाचार दिखाई दिया। कई मौके पर खुद विरोधी पक्ष नेता अजित दादा पवार भी कमजोर दिखाई दिए। उद्धव सेना के कई विधायकों, पूर्व मंत्रियों और पदाधिकारियों पर जांच की आंच आई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि टीईटी घोटाले, नौकरी देने के ठगी के मामले में आदित्य ठाकरे के करीबी पर घेरे में आ सकते हैं।

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