दोहरा झटका: मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हुई, औद्योगिक उत्पादन 18 माह में पहली बार घटा

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दोहरा झटका: मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हुई, औद्योगिक उत्पादन 18 माह में पहली बार घटा

दोहरा झटका: मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हुई, औद्योगिक उत्पादन 18 माह में पहली बार घटा

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) भारतीय अर्थव्यवस्था को बुधवार को खुदरा मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों के रूप में दोहरे झटके का सामना करना पड़ा।

आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीने के उच्चस्तर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई, जबकि औद्योगिक उत्पादन पिछले 18 माह में पहली बार घट गया।

खुदरा मुद्रास्फीति लगातार 9वें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दो से छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह अगस्त में सात प्रतिशत और सितंबर, 2021 में 4.35 प्रतिशत थी।

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति इस साल सितंबर में बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 7.62 प्रतिशत थी।

मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत से अधिक रहने पर आरबीआई को केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट देनी होगी। इस रिपोर्ट में आरबीआई को बताना होगा कि वह खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने में क्यों विफल रहा।

केंद्र सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के दायरे में बनी रहे।

मोतीलाल ओसवाल के मुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति में मामूली बढ़ोतरी और आईआईपी में गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, अगले महीने के आंकड़ों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति से तय होगा कि दिसंबर में आरबीआई ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत या 0.50 प्रतिशत, कितनी बढ़ोतरी करेगा।”

दूसरी ओर विनिर्माण और खनन जैसे क्षेत्रों में गिरावट के कारण देश का औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) अगस्त में 0.8 प्रतिशत घटकर 18 महीने के निचले स्तर पर आ गया। एक साल पहले समान महीने में औद्योगिक उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

इससे पहले फरवरी, 2021 में औद्योगिक उत्पादन में 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी। अगस्त, 2021 में औद्योगिक उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़ा था, जबकि इस साल जुलाई में इसमें 2.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में इस साल अगस्त में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले साल इसी महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 11.1 प्रतिशत बढ़ा था। बिजली क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त, 2022 में 1.4 प्रतिशत रही। अगस्त, 2021 में इसमें 16 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि हुई थी।

खनन क्षेत्र के उत्पादन में अगस्त में 3.9 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एक साल पहले के इसी माह में इसमें 23.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

इस तरह चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों यानी अप्रैल-अगस्त में औद्योगिक उत्पादन 7.7 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 29 प्रतिशत रही थी।

निवेश को प्रतिबिंबित करने वाले पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में अगस्त, 2022 के दौरान पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह अगस्त, 2021 में 20 प्रतिशत बढ़ा था।

वहीं, टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन अगस्त में 2.5 प्रतिशत घट गया, जबकि एक साल पहले समान महीने में इसमें 11.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

इसके अलावा प्राथमिक वस्तुओं के मामले में वृद्धि अगस्त में 1.7 प्रतिशत रही। पिछले वर्ष के इसी महीने में इसमें 16.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आईआईपी में प्राथमिक वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब 34 प्रतिशत है।

रेटिंग फर्म इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘सितंबर, 2022 के लिए 7.4 प्रतिशत की मुद्रास्फीति के बाद यह तय है कि दिसंबर, 2022 में एमपीसी (आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति) की समीक्षा में एक बार फिर ब्याज दर में बढ़ोतरी होगी।’’

मंत्रालय ने कहा कि आंकड़ों का विश्लेषण मार्च, 2020 से कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न आसामान्य स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।

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