डीएवीवी को विस्तार की दरकार, थाने को जमीन देने से और सिमटेगा दायरा

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डीएवीवी को विस्तार की दरकार, थाने को जमीन देने से और सिमटेगा दायरा

– रिंग रोड़ के लिए पहले ही दो हिस्सों में बंट चुका है तक्षशिला परिसर, निगम की टंकी से शौचालय तक के लिए भी दी जगह

इंदौर.
भंवरकुआं चौराहे के लेफ्ट टर्न के लिए देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के तक्षशिला परिसर की जमीन का बड़ा हिस्सा लिया जा रहा है। इसी सप्ताह होने वाली कार्यपरिषद की बैठक में ये जमीन प्रशासन को सौंपने का निर्णय होगा। ये पहला मौका नहीं है जब यूनिवर्सिटी की जमीन लेने का प्रस्ताव बना। इससे पहले रिंगरोड़ के लिए काफी जमीन शासन को दी जा चुकी है जिसने तक्षशिला परिसर को ही दो हिस्सों में बांट दिया।
यूनिवर्सिटी के तक्षशिला परिसर में बड़े परीक्षा केंद्र के साथ कई विभागों का निर्माण प्रस्तावित है। इनके लिए ही पर्याप्त जगह नहीं होने पर यूनिवर्सिटी प्रबंधन अब बहुमंजिला भवन बनाने पर विचार कर रहा है। इस बीच भंवरकुआं थाने के लिए जमीन देने का प्रस्ताव बना तो यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने जमीन देने से खारिज कर दिया। जिला प्रशासन और यूनिवर्सिटी के बीच जमीन को लेकर छिड़ी खींचतान में आखिरकार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव को दखल देना पड़ा। मंत्री ने इस जमीन के बदले प्रशासन से बांगड़दा में 15 एकड़ जमीन दिलवाने की हामी भरवाई। हालांकि, ये जमीन कब तक मिलेगी इसे लेकर कोई भी अधिकारी फिलहाल कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। सूत्रों के अनुसार मंत्री की मौजूदगी में हुई बैठक में भी कुलपति व अधिकारी जमीन देने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने मीडिया से चर्चा में इस मामले को लेकर चुप्पी साधे रखी। इधर, तक्षशिला परिसर की जमीन लिए जाने को लेकर पूर्व कुलपतियों व शिक्षाविदों में नाराजगी है। उनका कहना है कि सरकार ने यूनिवर्सिटी को सॉफ्ट टारगेट बना रखा है। नई शिक्षा नीति लागू करते हुए केंद्र ने शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता बढ़ाने के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने पर जोर दिया है वहीं, यहां लगातार यूनिवर्सिटी से जमीन छिनी जा रही है।
काम की नहीं बांगड़दा की जमीन
शासन ने मेडिकल कॉलेज के लिए यूनिवर्सिटी को बांगड़दा में 50 एकड़ जमीन आवंटित की थी। इसमें से 25 एकड़ जमीन निजी यूनिवर्सिटी को दे दी गई। बाकी 25 एकड़ जमीन के साथ अब 15 एकड़ और जमीन दिए जाने की बात की गई है। ये जमीन मिलती है तो भी यूनिवर्सिटी के किसी काम की नहीं रहेगी। यहां बनने वाले विभाग मुख्य शैक्षणिक परिसर से अलग-थलग हो जाएंगे। बांगड़दा में नए ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, होस्टल, कम्प्यूटर सेंटर आदि के लिए यूनिवर्सिटी को करोड़ों रुपए खर्च करना होंगे।
मंदिर और निगम की टंकी पर भी पेंच
मंत्री की मौजूदगी में यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने थाने के लिए जमीन सौंपने का प्रस्ताव कार्यपरिषद में ले जाने की हामी भरी है। हालांकि, चौराहे पर स्थित मंदिर को भी पीछे शिफ्ट किया जाना है। इसके साथ साथ नगर निगम भी यूनिवर्सिटी की जमीन पर ही पानी की टंकी का निर्माण करना चाह रहा है। अभी ये तय नहीं है कि यूनिवर्सिटी कितनी जमीन देगी।भोज यूनिवर्सिटी का भवन भी अधर में भोज ओपन यूनिवर्सिटी ने भी इंदौर में केंद्र के लिए यूनिवर्सिटी परिसर में ही जमीन की मांग की है। इसका मकसद छात्रों को एक ही परिसर में शिक्षा के अधिक विकल्प उपलब्ध कराना है। इस भवन का इस्तेमाल डीएवीवी भी कर सकेगी

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वर्जन –
यूनिवर्सिटी के पास पर्याप्त जमीन थी तभी हम अपना इंजीनियरिंग, लॉ और फार्मेसी विभाग सहित कई विभाग ला पाए है। अभी विस्तार के लिए जगह ही नहीं बची है। यूनिवर्सिटी को प्रशासन ने सॉफ्ट टारगेट बना रखा है। थाने, मंदिर या पानी की टंकी के लिए जमीन चाहिए तो प्रशासन सरकारी जमीनों के विकलप पर विचार कर सकता है। शिक्षा की जमीन पर दूसरी गतिविधियों पर बिलकुल प्रतिबंध लगना चाहिए।

– डॉ.भरत छपरवाल, पूर्व कुलपति, डीएवीवी





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