ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता को लगता था दिग्विजय सिंह से डर! कारण जान चौक जाएंगे

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ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता को लगता था दिग्विजय सिंह से डर! कारण जान चौक जाएंगे

भोपाल
Scindia Vs Digvijay: केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia)अपने जीवनकाल में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल थे। 2001 में एक विमान दुर्घटना में मौत से पहले तक माधवराव कई बार केंद्रीय मंत्री तो रहे ही, उनका नाम प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में भी शामिल था। राजनीति में माधवराव के विरले ही दुश्मन थे, लेकिन अपने जीते-जी वे दो लोगों से हमेशा परेशान रहे। माधवराव इन दोनों की विनम्रता से डरते थे। इसमें एक नाम उनकी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया ( Rajmata Vijayaraje Scindia) का था और दूसरा एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Congress Leader Digvijay Singh) का। उन्होंने एक बार खुद ही ये बात दिग्विजय को बताई थी।

अपनी मां के साथ माधवराव के मतभेदों का कारण सिंधिया परिवार का संपत्ति विवाद था। राजमाता ने अपनी वसीयत में बेटे को कोई जगह नहीं दी थी। उन्होंने सारी संपत्ति अपनी बेटियों और एक ट्रस्ट के नाम कर दी थी। कहा जाता है कि राजमाता और माधवराव के बीच संबंध इतने खराब थे कि दोनों की बातचीत तक नहीं होती थी। हालांकि, अदालतों में मामला लंबित होने के बावजूद मां-बेटे ने इसको लेकर एक-दूसरे पर कभी सार्वजनिक हमला नहीं किया।

दूसरी ओर, दिग्विजय और माधवराव की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता (Scindia Vs Digvijay) में कुछ भी छुपा नहीं था। दोनों घोषित रूप से एक-दूसरे के विरोधी थे। साल 1993 में जब दिग्विजय पहली बार एमपी के सीएम बने थे, तब सिंधिया ने घोषणा की थी कि वे दिग्गी का समर्थन नहीं करेंगे। उस समय खुद सिंधिया का नाम भी दावेदारों में शामिल था। दिग्विजय का राघौगढ़ कभी ग्वालियर रियासत का हिस्सा था। माना जाता है कि अपने रियासत के छोटे से राजा को सीएम के रूप में स्वीकार करना माधवराव को गंवारा नहीं था।

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दिग्गी के सीएम बनने के बाद का एक वाकया है। एक बार माधवराव सिंधिया संसद भवन की सीढ़ियों पर बैठकर पत्रकार राजीव शुक्ला के साथ बातें कर रहे थे। ठीक तभी दिग्विजय सिंह अपनी कार से वहां पहुंचे। माधवराव को नीचे बैठा देख उन्होंने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि आप यहां क्यों बैठे हैं। सिंधिया ने बताया कि वे यूं ही गपशप कर रहे हैं।

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इसके बाद दिग्विजय ने उन्हें बताया कि वे ग्वालियर जा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा कि उन्हें ग्वालियर का कोई काम हो तो उन्हें बता दें। इसी बात पर माधवराव ने दिग्विजय (Madhavrao Scindia Feared Digvijay) से कहा था कि दो लोग हैं जिनकी विनम्रता उनकी जान ले लेती है। दिग्विजय ने दोनों के नाम पूछे तो सिंधिया ने कहा – एक आप और दूसरी मेरी मां।

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