गरीबों के लिए लड़ने वाले सोनेलाल पटेल ने सैंट्रो कार में चलकर काटी जिंदगी, अब सरकार मिली तो टूट रहा उनका ‘अपना दल’

151

गरीबों के लिए लड़ने वाले सोनेलाल पटेल ने सैंट्रो कार में चलकर काटी जिंदगी, अब सरकार मिली तो टूट रहा उनका ‘अपना दल’

वाराणसी
‘सोनेलाल पटेल जमीनी आदमी थे। पूर्वांचल की राजनीति में जिन लोगों ने भी उन्हें अपना नेता माना, वो ये जानते थे कि सोनेलाल पटेल के कपड़े का रंग उनसे ज्यादा नहीं चमकता है। छोटे से परिवार से ताल्लुक रखने वाले सोनेलाल को बनारस, इलाहाबाद (प्रयागराज) और मिर्जापुर के लोग अपने घर का सदस्य समझते थे। अक्सर वो बनारस के किसी चौराहे पर अपनी सैंट्रो कार से उतरकर किसी पान वाले या चाय वाले से उसका हालचाल लेते मिल जाते थे। पूर्वी उत्तर प्रदेश का कुर्मी वोट उनके साथ जिसकी भी तरफ जाता, उसकी सरकार बनने की संभावना कई गुना बढ़ जाती। पर अब ऐसा नहीं, राजनीति में अपना दल बड़ी पार्टी कही जाती है, लेकिन वो बड़ी पार्टी रह गई है ऐसा नहीं लगता।’

वरिष्ठ पत्रकार अरुणवीर सिंह ने सोनेलाल पटेल का वक्त याद करते हुए ये बात तब कही है, जब कि अपना दल के दूसरे धड़े अपना दल कामेरावादी में भी टूट की खबरें मीडिया के सामने आ रही हैं। अब अपना दल कामेरावादी के नेता पंकज निरंजन का इस्तीफा हुआ है। पंकज निरंजन डॉ. सोनेलाल पटेल के दामाद और उनकी बेटी पल्लवी पटेल के पति हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पंकज ने अपना दल कामेरावादी की प्रमुख कृष्णा पटेल से नाराज होकर इस्तीफा दिया है। इससे पहले भी डॉ. सोनेलाल पटेल के परिवार में खुलकर बगावत देखने को मिल चुकी है, जिसमें सबसे बड़ी टूट कराने का आरोप अनुप्रिया पटेल पर लगता है। अनुप्रिया केंद्र में मंत्री हैं और वह अपना दल की बगावत के बाद बने पहले गुट अपना दल सोनेलाल की प्रमुख हैं। अपना दल का दूसरा गुट अपना दल कामेरावादी है। इसकी नेता कृष्णा पटेल हैं, जो कि सोनेलाल पटेल की पत्नी हैं।

सारी टूट बीते 10 सालों में ही
अपना दल में हुआ सारा विघटन बीते 10 सालों में ही हुआ है। पहला गुट अनुप्रिया पटेल का है, जो कि बीजेपी के साथ है। दूसरा गुट कृष्णा पटेल और उनकी छोटी बेटी पल्लवी का है जो कि 2022 के यूपी चुनाव के वक्त समाजवादी पार्टी का गठबंधन सहयोगी बना था। सोनेलाल पटेल की तीसरी बेटी अमन पटेल फिलहाल राजनीति में नहीं हैं। पूर्व में यह सभी नाम सोनेलाल पटेल के नेतृत्व में अपना दल का हिस्सा थे। सोनेलाल पटेल का 2009 में देहांत हो गया था। इसके बाद 2012 में सोनेलाल की बेटी अनुप्रिया अपना दल के टिकट पर वाराणसी की रोहानिया सीट से विधायक बनीं।

2014 के बाद अनुप्रिया पर लगे कई आरोप
2014 के चुनाव के वक्त जब बीजेपी ने यूपी मे्ं राजनीतिक जमीन तलाशना शुरू किया, तो सोनेलाल के उत्तराधिकारी के रूप में अनुप्रिया पटेल का नाम सबसे आगे आया। हालांकि अनुप्रिया की दावेदारी से नाराजगी उनकी मां को ही हुई। राजनीतिक शह मात के खेल में अनुप्रिया मिर्जापुर से सांसद बन गईं और फिर केंद्र सरकार में मंत्री हो गईं। ये कहा जाने लगा कि अनुप्रिया ने सोनेलाल की पूरी विरासत को हाईजैक कर लिया। इसकी पुष्टि 2021 में सोनेलाल पटेल की बेटी अमन पटेल की उस चिट्ठी ने की, जिसमें अमन ने कहा कि अनुप्रिया ने उनके पिता के पूरे कारोबार और विरासत को धोखे से अपने नाम कर लिया था। इस चिट्ठी में अमन ने अपने परिवार की सुरक्षा के लिए डीजीपी यूपी से मदद भी मांगी थी।

‘गठबंधन में ही कुछ सफलता पा सके सभी’
वरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी उत्तर प्रदेश के पूर्व संवाददाता समीरात्मज मिश्र कहते हैं कि अपना दल का विघटन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की वजह से है। सोनेलाल पटेल के परिवार के सभी लोग जानते हैं कि वो अकेले भले ही सरकार ना बना सकें, लेकिन किसी दल के साथ जाने पर ये काम हो सकता है। शायद इसीलिए अलग-अलग पार्टियां बनाकर गठबंधन करने की रवायत भी शुरू हो गई है। अहम बात ये है कि अपना दल कांग्रेस के साथ भी रहा है, एसपी के साथ भी और बीजेपी के साथ भी। लेकिन ये बात समझने लायक है कि अगर इसके नेता ऐसे ही केवल जाति की राजनीति के नाम पर किसी भी दल से गठबंधन करेंगे ,तो एक वक्त के बाद इनका कोर वोटर ही किसी अन्य पार्टी में शिफ्ट हो जाएगा।

पद के लिए कुछ भी करने में हुआ विवाद
पत्रकार मीनाक्षी त्रिपाठी कहती हैं कि अपना दल में होता विघटन असल में पद और प्रतिष्ठा की आपसी साख की लड़ाई सा है। ऐसी खबरें सामने आती हैं कि अनुप्रिया पटेल का उनके पति से विवाद है। फिर पल्लवी पटेल के पति अपना दल कामेरावादी छोड़ते हैं, आरोप लगता है कि पल्लवी पटेल के पति का अपनी सास कृष्णा पटेल से विवाद है। लेकिन ये सब विवाद जैसा है। विवाद की खबरों के बीच सभी किसी ना किसी स्थापित पद पर पहुंच गए हैं। ऐसे में लगता है कि भले ही सोनेलाल पटेल सामान्य राजनीतिज्ञ रह गए हों, लेकिन कूटनीतिक रूप से उनके परिवार ने हर द्वंद करके एक बड़ी जगह हासिल कर ही ली। फिर चाहे इसके लिए उसे परिवार से ही मतभेद करना पड़ा।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News