कहीं आपका बच्चा बीमार तो नहीं, घर-घर चेक करने आएगी टीम ! | Door to door screening of 8.28 lakh children will be done | Patrika News
बता दें 0 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के जिले में हर साल एक हजार से ग्यारह सौ मासूम निमोनिया, डायरिया सहित अन्य बीमारियों के चलते दम तोड़ रहे हैं। इन सभी बीमारियों की चिकित्सा ग्राम आरोग्य केंद्र स्तर तक उपलब्ध कराई गई है। बावजूद इसके बच्चों को सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब जिलेभर में दस्तक अभियान चलाया जाएगा।
अमले को प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण 15 से
दस्तक अभियान के पहले चरण के पहले अमले को प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण किया जाएगा। जिसके तहत 15 जून से 10 जुलाई तक एएनएम, एलएचवी को एक दिन जिला स्तर पर ट्रेनिंग दी जाएगी। 20 जून से 25 जुलाई तक जिला स्तरीय प्री दस्तक कार्यशाला होगी, जिसमें डीआइओ, डीपीएम, बीएमओ, सेक्टर मेडिकल ऑफीसर, डीसीएम, बीपीएम, बीसीएम, बीइई, डीपीओ, सीडीपीओ उपिस्थत रहेंगे।
15 जून से 10 जुलाई तक विकासखण्ड स्तर पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर, एमपीडब्ल्यू, आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगी को दस्तक अभियान का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 1 जुलाई से 15 जुलाई तक संभाग स्तर पर दस्तक अभियान के पहले चरण की समीक्षा की जाएगी, जिसमें जिला स्तर से सीएमएचओ, डीआईओ, डीपीएम, एमएंडई सहित अन्य मौजूद रहेंगे।
महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलेभर में बच्चों का स्वास्थ्य जानने ढ़ाई सैकड़ा से अधिक टीम गठित की जाएंगी। ये टीम घर-घर दस्तक देकर बीमार नवजातों की पहचान करेंगी। इसके अलावा गंभीर कुपोषित मासूमों को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराना, दस्त रोग नियंत्रण के लिए ओआरएस, जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरुकता को बढ़ावा देना, गॄहभेंट के दोरान ओआरएस पहुंचाना, 9 माह से 6 वर्ष तक बच्चों को विटामिन एक का अनूपूरण देना, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृति, वृद्धि विलंब को चिन्हित करना, दो वर्ष तक की आयु के बच्चों की माताओं को समुचित शिशु और बाल आहारपूर्ति संबंधी परामर्श देना, एसएनसीयू, एनआरसी से डिस्चार्ज हुए मासूमों की स्क्रीनिंग और फॉलोअप उपचार के लिए प्रोत्साहित करना, टीकाकरण से छूटे मासूमों का चिन्हांकन, बाल मृत्यु प्रकरणों बीते छह माह की जानकारी भी जुटाएंगी।
बता दें 0 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के जिले में हर साल एक हजार से ग्यारह सौ मासूम निमोनिया, डायरिया सहित अन्य बीमारियों के चलते दम तोड़ रहे हैं। इन सभी बीमारियों की चिकित्सा ग्राम आरोग्य केंद्र स्तर तक उपलब्ध कराई गई है। बावजूद इसके बच्चों को सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अब जिलेभर में दस्तक अभियान चलाया जाएगा।
अमले को प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण 15 से
दस्तक अभियान के पहले चरण के पहले अमले को प्रशिक्षण और उन्मुखीकरण किया जाएगा। जिसके तहत 15 जून से 10 जुलाई तक एएनएम, एलएचवी को एक दिन जिला स्तर पर ट्रेनिंग दी जाएगी। 20 जून से 25 जुलाई तक जिला स्तरीय प्री दस्तक कार्यशाला होगी, जिसमें डीआइओ, डीपीएम, बीएमओ, सेक्टर मेडिकल ऑफीसर, डीसीएम, बीपीएम, बीसीएम, बीइई, डीपीओ, सीडीपीओ उपिस्थत रहेंगे।
15 जून से 10 जुलाई तक विकासखण्ड स्तर पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर, एमपीडब्ल्यू, आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगी को दस्तक अभियान का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 1 जुलाई से 15 जुलाई तक संभाग स्तर पर दस्तक अभियान के पहले चरण की समीक्षा की जाएगी, जिसमें जिला स्तर से सीएमएचओ, डीआईओ, डीपीएम, एमएंडई सहित अन्य मौजूद रहेंगे।
महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलेभर में बच्चों का स्वास्थ्य जानने ढ़ाई सैकड़ा से अधिक टीम गठित की जाएंगी। ये टीम घर-घर दस्तक देकर बीमार नवजातों की पहचान करेंगी। इसके अलावा गंभीर कुपोषित मासूमों को पोषण पुनर्वास केंद्र में दाखिल कराना, दस्त रोग नियंत्रण के लिए ओआरएस, जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरुकता को बढ़ावा देना, गॄहभेंट के दोरान ओआरएस पहुंचाना, 9 माह से 6 वर्ष तक बच्चों को विटामिन एक का अनूपूरण देना, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृति, वृद्धि विलंब को चिन्हित करना, दो वर्ष तक की आयु के बच्चों की माताओं को समुचित शिशु और बाल आहारपूर्ति संबंधी परामर्श देना, एसएनसीयू, एनआरसी से डिस्चार्ज हुए मासूमों की स्क्रीनिंग और फॉलोअप उपचार के लिए प्रोत्साहित करना, टीकाकरण से छूटे मासूमों का चिन्हांकन, बाल मृत्यु प्रकरणों बीते छह माह की जानकारी भी जुटाएंगी।