कम रिस्की योजनाओं में निवेश बढ़ाएं | Increase investment in low risk schemes | Patrika News
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार रोटी और मकान के बीच का तालमेल नहीं समझ पा रही। आज देश में 90 फीसदी से ज्यादा घरों की बिक्री लोन पर हो रही हैए ऐसे में महंगाई कम करने के लिए ब्याज दरों का बढ़ाना बेवजह की घोषणा है। आज आम आदमी महंगाई के बोझ से लगातार दबता ही जा रहा है।
- संभव हो तो मॉलए मल्टीप्लेक्स और महंगे रेस्तरां में जाना कम करें।
- फिजूलखर्ची से बचने के लिए जरूरी सामान के छोटे पैक चुनें।
- बाहर जाकर खाने की बजाय खाना ऑर्डर करना बेहतर।
- राशन का बिल कम करने के लिए थोक खरीदारी करें।
- संभव है होम लोन की ब्याज दरें रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद।
खर्चों पर कसें लगाम
वित्तीय योजनाकारों की सलाह है कि महंगाई से निपटने के लिए लोगों को पहले अपने घरेलू बजट पर इसका असर समझना चाहिए। सबसे पहले देखिए कि पैसा जा कहां रहा है और आप किस मद में ज्यादा खर्च कर रहे हैं। इसके बाद जरूरी और गैर जरूरी खर्चों को अलग.अलग कीजिए। अब फिजूलखर्ची पर लगाम कसिए।
90: से ज्यादा घरों की बिक्री लोन राशि पर निर्भर हो गई है।
बढ़ते प्रतिफल का उठाएं लाभ
होमलोन का बोझ फिर बढ़ा
खर्च में कटौती के लिए कई परिवार अपने कर्ज को भी नए सिरे से देख रहे हैं। जयपुर में रहने वाली उद्यमी सीमा जैन के पास बेस दर से जुड़ा आवास ऋण थाए जिस पर 8ण्5 फीसदी ब्याज जाता था। उन्होंने अपना होम लोन रीपो रेट से जुड़वा लिया हैए जिस पर 7ण्55 फीसदी ब्याज रह गया। इससे उनकी मासिक किस्त में 2500 रुपए तक कमी आ गईए लेकिन अब फिर यह 8.55 फीसदी हो सकती है।
अपनी जमा पूंजी पर ज्यादा प्रतिफल के लिए थोड़ा रिस्क लेना जरूरी हो गया। मुद्रास्फीति और ब्याज दर स्थिर होने पर लंबी अवधि की एफडी व म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। हाल ही में रेपो दर से जुड़ी जमा योजनाएं शुरू की हैंए जो अच्छा विकल्प हो सकती हैं। इक्विटी में निवेश कम न करेंए क्योंकि लंबी अवधि में अस्थिरता को मात देने के लिए यह अच्छा विकल्प है।
ऐसे समझें महंगाई पर आदमी की पीड़ा
दिल्ली में एक फाइनेंस कंपनी में काम करने वाली 40 साल की अस्मिता का महीने के राशन का खर्च पिछले ढाई साल में 100 फीसदी बढ़ गया है यानी दोगुना हो गया है। अस्मिता कहती हैंए महंगाई के इस दौर से कोई अछूता नहीं है। चावलए आटाए दालए खाद्य तेल जैसा रोजमर्रा का सामान बहुत महंगा हो गया है। दिक्कत यह है कि खर्च के हिसाब से कमाई नहीं बढ़ रहीए जिससे कई परिवारों का बजट बिगड़ रहा है। पिछले 1.2 साल में यात्राए बिजली आदि का खर्च भी बढ़ गया है। महीने के आखिर में खर्च पूरे करने के लिए मुझे अक्सर अपने दूसरे खाते में पड़ी रकम का इस्तेमाल करना पड़ रहा हैए जो मुश्किल समय के लिए बचाकर रखी है। मैं 18 साल से नौकरी कर रही हूं और इससे पहले कभी मुझे ऐसा नहीं करना पड़ा।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार रोटी और मकान के बीच का तालमेल नहीं समझ पा रही। आज देश में 90 फीसदी से ज्यादा घरों की बिक्री लोन पर हो रही हैए ऐसे में महंगाई कम करने के लिए ब्याज दरों का बढ़ाना बेवजह की घोषणा है। आज आम आदमी महंगाई के बोझ से लगातार दबता ही जा रहा है।
- संभव हो तो मॉलए मल्टीप्लेक्स और महंगे रेस्तरां में जाना कम करें।
- फिजूलखर्ची से बचने के लिए जरूरी सामान के छोटे पैक चुनें।
- बाहर जाकर खाने की बजाय खाना ऑर्डर करना बेहतर।
- राशन का बिल कम करने के लिए थोक खरीदारी करें।
- संभव है होम लोन की ब्याज दरें रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद।
खर्चों पर कसें लगाम
वित्तीय योजनाकारों की सलाह है कि महंगाई से निपटने के लिए लोगों को पहले अपने घरेलू बजट पर इसका असर समझना चाहिए। सबसे पहले देखिए कि पैसा जा कहां रहा है और आप किस मद में ज्यादा खर्च कर रहे हैं। इसके बाद जरूरी और गैर जरूरी खर्चों को अलग.अलग कीजिए। अब फिजूलखर्ची पर लगाम कसिए।
90: से ज्यादा घरों की बिक्री लोन राशि पर निर्भर हो गई है।
बढ़ते प्रतिफल का उठाएं लाभ
होमलोन का बोझ फिर बढ़ा
खर्च में कटौती के लिए कई परिवार अपने कर्ज को भी नए सिरे से देख रहे हैं। जयपुर में रहने वाली उद्यमी सीमा जैन के पास बेस दर से जुड़ा आवास ऋण थाए जिस पर 8ण्5 फीसदी ब्याज जाता था। उन्होंने अपना होम लोन रीपो रेट से जुड़वा लिया हैए जिस पर 7ण्55 फीसदी ब्याज रह गया। इससे उनकी मासिक किस्त में 2500 रुपए तक कमी आ गईए लेकिन अब फिर यह 8.55 फीसदी हो सकती है।
अपनी जमा पूंजी पर ज्यादा प्रतिफल के लिए थोड़ा रिस्क लेना जरूरी हो गया। मुद्रास्फीति और ब्याज दर स्थिर होने पर लंबी अवधि की एफडी व म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। हाल ही में रेपो दर से जुड़ी जमा योजनाएं शुरू की हैंए जो अच्छा विकल्प हो सकती हैं। इक्विटी में निवेश कम न करेंए क्योंकि लंबी अवधि में अस्थिरता को मात देने के लिए यह अच्छा विकल्प है।
ऐसे समझें महंगाई पर आदमी की पीड़ा
दिल्ली में एक फाइनेंस कंपनी में काम करने वाली 40 साल की अस्मिता का महीने के राशन का खर्च पिछले ढाई साल में 100 फीसदी बढ़ गया है यानी दोगुना हो गया है। अस्मिता कहती हैंए महंगाई के इस दौर से कोई अछूता नहीं है। चावलए आटाए दालए खाद्य तेल जैसा रोजमर्रा का सामान बहुत महंगा हो गया है। दिक्कत यह है कि खर्च के हिसाब से कमाई नहीं बढ़ रहीए जिससे कई परिवारों का बजट बिगड़ रहा है। पिछले 1.2 साल में यात्राए बिजली आदि का खर्च भी बढ़ गया है। महीने के आखिर में खर्च पूरे करने के लिए मुझे अक्सर अपने दूसरे खाते में पड़ी रकम का इस्तेमाल करना पड़ रहा हैए जो मुश्किल समय के लिए बचाकर रखी है। मैं 18 साल से नौकरी कर रही हूं और इससे पहले कभी मुझे ऐसा नहीं करना पड़ा।