अफगानिस्‍तान में ‘तालिबान राज’ का कहर, महिला एंकरों को सरकारी टीवी से निकाला

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अफगानिस्‍तान में ‘तालिबान राज’ का कहर, महिला एंकरों को सरकारी टीवी से निकाला

हाइलाइट्स

  • दुनिया के सामने अपनी छवि बनाने में जुटे तालिबानी असली रंग में आना शुरू हो गए हैं
  • अफगानिस्‍तान में महिलाओं को समान अधिकार देने का वादा करने वाले ताल‍िबानी पलटे
  • तालिबान ने सरकारी टीवी चैनल की एंकर खादिजा अमीन को बर्खास्‍त कर दिया है

काबुल
अफगानिस्‍तान पर कब्‍जा करने के बाद दुनिया के सामने अपनी छवि बनाने में जुटे तालिबानी अब अपने असली रंग में आना शुरू हो गए हैं। अफगानिस्‍तान में महिलाओं को समान अधिकार देने का वादा करने वाले ताल‍िबानियों ने सरकारी टीवी चैनल की एंकर खादिजा अमीन को बर्खास्‍त कर दिया है। उनकी जगह पर एक पुरुष तालिबानी एंकर को बैठाया गया है। वहीं एक अन्‍य महिला एंकर शबनम दावरान ने बताया कि हिजाब पहनने और आईडी कार्ड लाने के बाद भी उन्‍हें ऑफिस में घुसने नहीं दिया गया।

शबनम को कहा गया कि अब तालिबान राज आ गया है और उन्‍हें घर जाना होगा। तालिबान राज आने के बाद अफगानिस्‍तान में महिलाएं अपने घरों में कैद होकर रह गई हैं। उन्‍हें न केवल अपने जीवन का डर सता रहा है बल्कि उनका भविष्‍य भी अब संकट में पड़ गया है। मंगलवार को सुबह प्राइवेट टीवी चैनल टोलो की महिला एंकर बेहेश्‍टा अर्घंद ने तालिबान के मीडिया विंग से जुड़े मावलावी अब्‍दुलहक हेमाद से इंटरव्‍यू लिया था।
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तालिबान ने अपना असली रंग दिखाया
महिला एंकर ने तालिबानी अधिकारी से घर-घर की जा रही तलाशी के बारे में सवाल पूछे थे। इस दौरान मावलावी ने कहा, ‘अब पूरी दुनिया तालिबान को मानती है कि वे देश के असली शासक हैं। मुझे अभी भी आश्‍चर्य है कि लोग अभी तालिबान से डरे हुए हैं।’ इस पूरे इंटरव्‍यू की काफी तारीफ हुई। लेकिन कुछ घंटे बाद ही तालिबान ने अपना असली रंग दिखा दिया। खादिजा अमीन को रोते हुए कहा कि तालिबान ने उन्‍हें और अन्‍य महिला कर्मचारियों को हमेशा के लिए नौकरी से निकाल दिया है।

28 साल की अमीन ने कहा, ‘मैं एक पत्रकार हूं और मुझे काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अब मैं आगे क्‍या करूंगी। अगली पीढ़ी के लिए कुछ भी नहीं है। हमने पिछले 20 साल में जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब खत्‍म हो गया। तालिबान तालिबान हैं, उनके अंदर कोई बदलाव नहीं आया है।’ इन महिला पत्रकारों की कहानी ने यह दिखा दिया है कि अफगानिस्‍तान की महिलाएं अनिश्चितता और गहरी निराशा के दौर से गुजर रही हैं।
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तालिबान का वादा उसकी जमीनी हकीकत से उलट
लाखों महिलाओं को यह डर सता रहा है कि तालिबान का क्रूर दमन वाला शासन फिर से लौट सकता है जब महिलाओं को घर के बाहर काम करने पर तालिबान ने रोक लगा दी थी। साथ ही घर से निकलने पर पुरुष संरक्षक का होना जरूरी था। तालिबानी उन महिलाओं को कोड़े मारते थे जो कथित रूप से तालिबान के नैतिक कानूनों को नहीं मानती थीं। इन खतरों के बीच तालिबानी महिलाओं को आश्‍वासन दे रहे हैं कि इस बार के उनके शासन में चीजें अलग होंगी। तालिबान के प्रवक्‍ता जबीउल्‍लाह मुजाहिद ने अपने पहले संवाददाता सम्‍मेलन में कहा था कि महिलाओं को काम करने और अध्‍ययन की अनुमति दी जाएगी। साथ ही उनके खिलाफ कोई हिंसा नहीं होगी। तालिबान का यह वादा उसकी जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता दिख रहा है।

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