अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक बिल पर चौतरफा घिरी सरकार, अब बाल संरक्षण आयोग ने उठाए सवाल

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अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक बिल पर चौतरफा घिरी सरकार, अब बाल संरक्षण आयोग ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने सरकार को लिखी चिट्ठी विधेयक पर पुनर्विचार की मांग,राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भेजी चिट्ठी, हाल ही में संशोधम विधेयक को किया गया है विधानसभा में पारित

जयपुर। विपक्ष के भारी विरोध के बीच हाल ही में विधानसभा में पारित किए गए राजस्थान अनिवार्य विभाग पंजीकरण संशोधन विधेयक 2021 को लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है। कई सामाजिक और बौद्धिक संगठन इस विधेयक के विरोध में उत्तर आए हैं तो अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस संशोधन विधेयक की आलोचना करते हुए इस विधेयक को पुनर्विचार करने की मांग सरकार से की है।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की ओर से मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका को भेजी चिट्ठी में कहा है कि राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक 2021 के पारित होने के बाद बाल विवाह को प्रोत्साहन मिलेगा।

चिट्ठी में बाल संरक्षण आयोग ने विवाह निषेध अधिनियम का उल्लेख करते हुए लिखा की बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह करवाना, उसमें भाग लेना और उसको प्रोत्साहित करने के लिए कठोर प्रावधान किए गए हैं।

चिट्ठी में लिखा है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के सेक्शन 9 और 10 में प्रावधान किया गया कि अगर कोई बाल विवाह करवाता है या उस में भाग लेता है तो 2 साल तक की सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। सेक्शन 11 के तहत अगर कोई बाल विवाह को बढ़ावा देता है तो वह भी दंडनीय अपराध है।

बिल पर पुनर्विचार करे सरकार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव के नाम लिखी चिट्ठी में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिखा है कि गहलोत सरकार को एक बार फिर से इस विधेयक पर पुनर्विचार करना चाहिए। चिट्ठी में उल्लेख किया गया है कि बाल विवाह को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना गया है।

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के सेक्शन 3 में बाल विवाह को शून्य घोषित करवाया जा सकता है और शून्य घोषित करवाए जाने की स्थिति में लड़की के लिए मेंटेनेंस का प्रावधान भी किया गया, लेकिन जो संशोधन विधेयक गहलोत सरकार लेकर आई है, इस बिल से नाबालिग बच्चों को शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित करेगा। साथ ही उनकी शिक्षा को भी प्रभावित करेगा।

गौरतलब है कि हाल ही संपन्न हुए विधानसभा सत्र में राज्य की गहलोत सरकार ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच सदन में राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन 2021 को ध्वनिमत से पारित करवाया था।

गौरतलब है कि विपक्ष ने विधानसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान राजस्थान बाल विवाह को प्रोत्साहन देने का आरोप लगाया था तो वहीं संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने हर प्रकार के विवाह का पंजीकरण कराए जाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद कई सामाजिक संगठन भी इसके विरोध में उतर आए हैं।









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