Yogi सरकार भेज रही विधान परिषद, उम्मीदवारी के पीछे कहीं ये वजह तो नहीं… जानिए कौन हैं प्रो तारिक मंसूर?

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Yogi सरकार भेज रही विधान परिषद, उम्मीदवारी के पीछे कहीं ये वजह तो नहीं… जानिए कौन हैं प्रो तारिक मंसूर?

Yogi सरकार भेज रही विधान परिषद, उम्मीदवारी के पीछे कहीं ये वजह तो नहीं… जानिए कौन हैं प्रो तारिक मंसूर?


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के लिए नामित उम्मीदवारों के नाम सामने आए हैं। इन उम्मीदवारों के नामों को राजभवन में अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया है। राजभवन से क्लीयरेंस मिलते ही छह उम्मीदवार यूपी विधान परिषद के सदस्य बन जाएंगे। करीब एक साल से खाली सीटों को इस प्रकार से भरा जा सकेगा। इन छह नामों में एक नाम डॉ. तारिक मंसूर का है। डॉ. मंसूर का नाम चौंकाता है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की बदली रणनीति को प्रदर्शित करता है। जिस प्रकार से पिछले 9 सालों में यूपी में भाजपा एक अलग प्रकार की राजनीति करती दिख रही थी, उसमें कुछ हद तक बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। अब इस पर राजनीतिक चर्चा खूब हो रही है। भाजपा ने वर्ष 2014 के बाद से मुस्लिम नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने से परहेज किया है। हालांकि, दानिश अंसारी को विधान परिषद भेजकर और यूपी सरकार में मोहसिन रजा के स्थान पर मंत्री बनाकर योगी सरकार ने पसमांदा राजनीति शुरू की है। वहीं, अब डॉ. मंसूर के जरिए मुस्लिम वोट बैंक में भाजपा को लेकर बनी सोच को मिटाने की कोशिश के रूप में पूरे मामले को देखा जा रहा है।

कौन हैं डॉ. तारिक मंसूर?

डॉ. तारिक मंसूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति के पद पर तैनात हैं। पिछले दिनों अपने कार्यों से खासी चर्चा में रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। प्रो. तारिक मंसूर को 17 मई 2017 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था। उनका कार्यकाल 17 मई 2022 को पूरा हो गया। हालांकि, राष्ट्रपति ने उनके कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया। इस साल 17 मई को वे रिटायर होने वाले हैं। उनके आरएसएस और भाजपा के सीनियर नेताओं से बेहतर संबंध की खूब चर्चा होती रही है।

जहां से पढ़ाई, वहीं बने कुलपति

प्रो. तारिक मंसूर ने अलीगढ़ के अवर लेडी फातिमा स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा के लिए वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पहुंचे। वहां से उन्होंने मेडिकल तक की पढ़ाई की। वे जेएन मेडिकल कॉलेज में बतौर प्रोफेसर भी नियुक्त हुए। वे यूनिवर्सिटी के गेम्स कमेटी के सचिव भी बने। उनके पिता एएमयू के लॉ फैकल्टी में चेयरमैन और डीन रहे थे। उनकी पत्नी प्रो. हामिदा तारिक जेएन मेडिकल कॉलेज में नियुक्त हैं।

भाजपा में जाने वाले बनेंगे पहले एएमयू वीसी!

प्रो. तारिक मंसूर के विधान परिषद सदस्य पर चयन होने की स्थिति में वे भाजपा में जाने वाले पहले वीसी बन जाएंगे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इसको लेकर उनकी आलोचना हो रही है। एएमयू के कुलपति के तौर पर वे हमेशा भाजपा के निशाने पर रहे हों, लेकिन उनके बेटे की शादी में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी पहुंचे थे। ऐसे में भाजपा और आरएसएस से उनकी नजदीकी भी खासी चर्चा में रही है।

डॉ. मंसूर ने एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था। पीएम मोदी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुए थे और विश्वविद्यालय की तारीफ की थी। डॉ. तारिक ने राजस्थान के हिंदू छात्रों को नियम से अलग हटकर हॉस्टल अलॉट कर दिया था। इसको लेकर खूब चर्चा हुई थी। हालांकि, छात्रों ने तब कहा था कि हिंदू होने की वजह से नहीं, सीनियरिटी के हिसाब से उन्हें हॉस्टल मिला है।

भाजपा और योगी की कोशिश कुछ अलग

यूपी भाजपा इस समय लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा सभी वर्गों के वोट को अपने पाले में लाने की कोशिश करती दिख रही है। अब तक मुस्लिम वोट बैंक को भाजपा से अलग करने की कोशिश तमाम राजनीतिक पार्टियां करती रही हैं। ऐसे में सीएम योगी अपने बदले रुख से तमाम वर्गों को साधते दिख रहे हैं। मुस्लिम उम्मीदवारों को विधान परिषद भेजकर एक अलग प्रकार की रणनीति बनाई जा रही है। भाजपा अपने फॉर्मूले ‘सबका साथ, सबका विकास’ को यूपी की राजनीति में अलग प्रकार से लागू करने की कोशिश करती दिख रही है। इस पर आने वाले समय में राजनीतिक चर्चाओं के गरमाने की उम्मीद की जा रही है।

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