क्या उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में दो बच्चे से ज्यादा वाले उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे?

809
news
Advertising
Advertising

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए दो बच्चों का मानक और न्यूनतम शिक्षा आधार को शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. पंचायती राज के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और जल्द ही यह औपचारिक रूप ले सकता है. बीते महीने केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान ने उत्तर प्रदेश सरकार से एक कानून लाने और दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को चुनाव लड़ने से रोकने की अपील की थी.

राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं, जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है. उत्तराखंड ने भी इसी तरह का कानून पेश किया था, लेकिन बाद में राज्य के हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

Advertising

बाल्यान ने एक पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश की आबादी को लेकर चिंता व्यक्त की थी, जहां अब 23 करोड़ से अधिक जनसंख्या है. उन्होंने दावा किया कि अगर राज्य इस तरह के कानून को लागू करता है, तो यह एक मिसाल कायम करेगा और आबादी को कम करने में मदद करेगा. उन्होंने लिखा, “हमारे राज्य को जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक अभियान शुरू करना चाहिए. और यह अगले पंचायत चुनाव से शुरू किया जा सकता है. जिनके पास दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें अगला चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

इस बीच कई विपक्षी दलों ने इस आधार पर प्रस्ताव लाने को लेकर आपत्ति जताई कि यह ‘अन्यायपूर्ण और मनमाना’ है. समाजवादी पार्टी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पंचायत चुनाव लड़ने से निचले वर्गों को वंचित करना है. पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि यह कदम ‘असंवैधानिक’ है, क्योंकि इससे कमजोर और दलित लोगों को न्यूनतम शिक्षा आधार के कारण चुनाव लड़ने से रोका जाएगा.

यह भी पढ़े:लक्ष्मण को किस का अवतार माना जाता है ?

Advertising
Advertising