AIIMS में छठे दिन भी मैन्युअली हुआ कामकाज, डिजिटल तरीके से काम शुरू होने में लग सकते हैं 2-3 दिन
एम्स सूत्रों का कहना है कि सभी जांच एजेंसी अपना काम कर रही हैं। सिस्टम को क्लीन करने का काम किया जा रहा है। लगभग 5 हजार कंप्यूटर को स्कैन करने का काम किया जा रहा है। कंप्यूटर को रैनसमवेयर अटैक से बचाने के लिए काम किया जा रहा है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटना को टाला जा सके। हालांकि, एम्स सूत्रों का कहना है कि पहला फोकस है कि कंप्यूटर को स्कैन कर शुरू किया जाए और पुराने डाटा भी रिस्टोर किए जाएं। क्योंकि मेन सर्वर के अलावा दो बैकअप सर्वर भी थे, जिनमें से एक बैकअप सर्वर को अटैक से पहले बंद कर दिया गया था। उम्मीद है कि स्कैन के बाद डाटा रीस्टोर हो सकता है।
बता दें कि 23 नवंबर को एम्स के सर्वर में रैनसमवेयर अटैक हुआ था। पूरी डिजिटल सेवाएं ठप हो गईं। एनआइसी (नेशनल इन्फार्मेटिक सेंटर), इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आइएन) और सीडैक (सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग) की टीम इस समस्या का हल निकालने के लिए जुटी है। एम्स की तरफ से दावा किया जा रहा था कि सोमवार से कुछ जगहों पर डिजिटल सेवाएं शुरू हो जाएगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अब कहा जा रहा है कि इसमें और 2-3 दिन लग सकते हैं।
शुरुआत में ओपीडी और आईपीडी के साथ साथ लैब पर इसका असर हुआ था। लेकिन अब मैन्यूअली अच्छे से इसे मैनेज किया जा रहा है। स्टाफ बढ़ाए गए हैं। निगरानी की जा रही है। कहीं से शिकायत नहीं आ रही है। एम्स के स्मार्ट लैब पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ है, लेकिन बाकी लैब का काम मैन्युअली हो रहा है। क्योंकि बारकोड नहीं बनने की वजह से डिजिटल तरीके से काम नहीं हो पा रहा है।