किसी भी राष्ट्र की जड़ उसकी अर्थव्यवस्था से जुडी होती होती है। अर्थवव्यस्था व्यपार से जुड़ा होता है और व्यापार छोटे बड़े उद्योगों से मिलकर होता है। मगर देश में स्थिति बदलती नजर आ रही है। जहां एक ओर बड़े उद्योग ओर अधिक विकसित हो रहे है ओर वही दूसरी ओर छोटे उद्योग वही के वही है। इसका मूल कारण सिर्फ एक ही है देश के 5.1 करोड़ छोटे ओर मध्यम उद्योगों का करीब 68 फीसदी अभी भी ऑफलाइन है। जिसका असर सबसे ज्यादा इन उद्योगों की कमाई पर पड़ता है।
हाल ही में गूगल और केपीएमजी के सयुंक्त अध्ययन में यह बात कही गई है। गूगल निदेशक शालिनी गिरीश ने निष्कर्षों को साझा करते हुए कहा कि जो व्यवसाय डिजिटल से जुड़े है। वे अपने ग्राहकों कि संख्या बढ़ाने में कामयाब हुई है और वे अपने ग्राहकों में अपने कार्यस्थल से दूर के 52 फीसदी ग्राहक बनाने में कामयाब हुई है।जबकि जो उद्योग डिजिटल से नहीं जुड़े है और जो ऑफलाइन है उनके लिए यह आंकड़ा महज 29 फीसदी है।इस अध्ययन से पता चला है कि जो एसएमबी डिजिटल माध्यम को अपनाते है, उनके कारोबार में ऑफलाइन एसएमबी की तुलना में दोगुनी वृद्धि होती है। फिलहाल एसएमबी का देश की सकल घरेलू उत्पाद में 10 फीसदी योगदान है।
नई औद्योगिक नीति
सरकार एक नई औद्योगिक नीति पर काम कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने हाल ही में यह बात कही है जिसका मकसद घरेलू उद्योगों में आधुनिक प्रौधोगिक और घरेलू उत्पादों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना होगा। अधिकारी ने कहा कि 1991 में तैयार की गई औद्योगिक नीति को पूरी तरह बदलने की जरूरत है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नई नीति में कई मुद्दों पर गौर किया जाएगा। जिसमे डिजिटल इंडिया और नए तरीको को प्रोत्साहित करने और साथ ही कर प्रणाली को भी आसान बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।