क्यों कामाख्या मंदिर तांत्रिक विद्या का प्रमुख केंद्र है?

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क्यों कामाख्या मंदिर तांत्रिक विद्या का प्रमुख केंद्र है?
क्यों कामाख्या मंदिर तांत्रिक विद्या का प्रमुख केंद्र है?

भारत विश्वभर में अपने खूबसूरत और रहस्य से पूर्ण मंदिरों के लिए काफी प्रचलित है। इन मंदिरो से जोड़ी रहस्यमय कथा को सुनकर कोई भी हैरान रह जाएगा। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारें में बताना जा रहे है जो अपने भीतर कई रहस्य समेटा हुआ है। भारत के विख्यात मंदिरों में से एक कामख्या मंदिर में तांत्रिक साधना का सबसे बड़ा केंद्र है। कामाख्या शक्तिपीठ गुवाहाटी (असम) के पश्चिम में 8 कि.मी. दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। माता के सभी शक्तिपीठों में से कामाख्या शक्तिपीठ को सर्वोत्तम माना जाता है। इस स्थान पर माता सती का गुह्वाय यानि की योनि भाग गिरा था, और फिर कामाख्या महापीठ की उत्पत्ति हुई। देवी का योनि भाग इस स्थान में विधमान होने से यहां माता रजस्वला होती हैं।

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वर्ष में एक बार इस मंदिर में दुनिया भर के तांत्रिक और अघोरी आते है। इस स्थान को तंत्र साधना के लिए सबसे प्रमुख स्थान में एक माना गया है। यहां पर साधु और अघोरियों का तादाद देखने लायक होती है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे की अगर कोई व्यक्ति काला जादू से ग्रसित है तो वह यहां आकर इस समस्या से निजात पा सकता है। कामाख्या के तांत्रिक और साधू चमत्कार करने में सक्षम होते हैं। कई लोग विवाह, बच्चे, धन और दूसरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामाख्या की तीर्थयात्रा पर जाते हैं। कहते हैं कि यहां के तांत्रिक बुरी शक्तियों को दूर करने में भी सक्षम होते है और सभी मुसीबातों को दूर कर देते है।

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साथ ही आपको दे की हर साल जून महीने में यहां पर अंबुवासी मेला का आयोजन होता है। देश के हर कोने से साधु-संत और तांत्रिक यहां पर बड़ी तादाद में इकट्ठे होते हैं और तंत्र साधना की विधा की प्राप्ति करते है। इस दौरान मां के रजस्‍वला होने का पर्व भी बड़े जोरों शोरों के साथ मनाया जाता है और इस समय ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए लाल नज़र आती है।

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