नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा अन्य सिनेमा की तुलना में काफी अलग है, जहां एक तरफ हॉलीवुड समेत अन्य इंडस्ट्री में गानों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है. वहीं बॉलीवुड में कोई भी फिल्म ऐसी नहीं होगी जिसमें संगीत न हो.
गाने फिल्म से पहले रिलीज होते है जो की फिल्म को प्रसिद्ध करते है
बता दें कि भारतीय सिनेमा में संगीत काफी मुख्य रोल निभाता है. गानों की वजह से एक फिल्म के दौरान हमें छोटे-छोटे ब्रेक भी मिल जाते है. गाने फिल्म से पहले रिलीज होते है जो की फिल्म को प्रसिद्ध करने का काम करते है. उसी वजह से दर्शकों के दिल में मूवी को देखने की चाह बढ़ जाती है. हिंदी गाने कई बार इतने सशक्त होते है कि फिल्म को एक पल दर्शक भूल जाए लेकिन संगीत को नही भूल पाते है.
भारतीयों की ज्यादातर भावना संगीत के माध्यम से उजागर होती है
आपको बता दें कि भारतीयों की ज्यादातर भावना संगीत के माध्यम से उजागर होती है. फिर चाहे वो सुख हो या दुख. बॉलीवुड की फिल्म में एक नहीं बल्कि कई गाने दर्शाये जाते है. जिनके बोल लोगों के जुबान पर हमेशा देखने को मिलते है. कहते है न जैसे दूध बगौर खीर बनाना संभव नहीं ठीक उसी तरह बॉलीवुड में गानों के बगौर मूवी बनाना संभव नही. दोनों ही एक दूसरे के पूरक है. हमारा सिनेमा अन्य सिनेमा से इसलिए भी अलग है क्योंकि बॉलीवुड मूवी में आपको तमाम चीजें देखने को मिलेगी फिर चाहे वो एक्टिंग, संगीत, डांस, ड्रामा और कॉमेडी ही क्यों न हो.
ड्रीम गर्ल हेमा का प्रसिद्ध गाना “मैं नाचूंगी जब तक है जान” भी सभी को याद रहता है
यहीं कुछ कारण है जो हिंदी सिनेमा को ओर से अलग करता है. हम आज भी पुरानी कई फिल्मों को उनके गानों की वजह से ही याद रखते हैं. जहां शोले में जय-वीरू की जोड़ी याद है वहीं ड्रीम गर्ल हेमा का प्रसिद्ध गाना “मैं नाचूंगी जब तक है जान” भी सभी को याद रहता है. मुग़ल-ए-आज़म फिल्म का ‘प्यार किया तो डरना क्या’. वो कौन थी मूवी का गाना ‘लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो’. ये सभी गाने पहले के आइकोनिक गानों में से एक है.
यह भी पढ़ें: अभिषेक बच्चन का बड़ा खुलासा, ऐश्वर्या की इस फिल्म को लेकर कही चौंकाने वाली बात
गानों से अभिनेता और अभिनेत्रियों की भी एक अलग छवि देखने को मिली
भारतीय इतिहास और वर्तमान में गीत, संगीत, नृत्य और साहित्य सभी खास महत्व रखते हैं. संगीत का हिंदी फिल्मों में अलग लगाव देखा जाता है. चाहे वो 60 का दिलीप कुमार का दौर हो या फिर 80 और 90 का सलमान और शाहरुख का, गानों की वजह से जितनी फिल्म इंडस्ट्री को अलग पहचान मिली, वहीं इन गानों से अभिनेता और अभिनेत्रियों की भी एक अलग छवि देखने को मिली. आज भी गानों का चलन बरकरार है, जो लोगों को थिरकने में मजबूर कर देता है. यहीं कारण है कि इसे कहते है भारतीय सिनेमा.