होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. शाम के समय होलिका दहन किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि होलिका आग में पह्लाद को लेकर बैठ गई. होलिका पह्लाद की रिश्ते में बुआ लगती थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका पह्लाद को क्यों मारना चाहती थी ? इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.
ऐसा माना जाता है कि एक राजा होता था जिसका नाम हिरण्यकश्यप था. वह विष्णु भगवान को नहीं मानता था. वह कहता था कि वह सबसे शक्तिशाली है तथा उसकी प्रजा को भगवान विष्णु की जगह उसकी पूजा करनी चाहिए. इसके बाद उस एक पुत्र हुआ जिसका नाम पह्लाद था.
पह्लाद विष्णु का भक्त था. इसके साथ ही पह्लाद और लोगों से भी विष्णु भगवान की पूजा करने को कहता था. जिसके कारण दोनों पिता-पुत्र में मतभेद पैदा हुआ. इसके कारण हिरण्याकश्यप अपने पुत्र को मारना चाहता था. इसके लिए उसने बहुत प्रयास भी किए लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वह हर बार बच जाता है. जिसके कारण भक्त पह्लाद का पिता परेशान हो जाता है. हिरण्याकश्यप की एक बहन भी थी. जिसका नाम होलिका था.
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ऐसी मान्यता है कि होलिका को एक ऐसा वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी. इसी कारण उसने हिरण्याकश्यप से कहा कि मैं पह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाऊंगी, मुझे तो कुछ नहीं होगा क्योंकि मुझे आग में ना जलने का वरदान प्राप्त है. इस बात से हिरण्याकश्यप बहुत खुश हुआ. इसके बाद होलिका पह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाती है. लेकिन भगवान विष्णु की दया से भक्त पह्लाद बच जाता है तथा होलिका जल जाती है. इस घटना के बाद शाम को होलिका का दहन किया जाता है. इस घटना को बुराई पर अच्छाई के जीत के तौर पर भी देखा जाता है.