जानियें, किस पत्रकार ने उठाई थी राम रहीम के खिलाफ आवाज?

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जानियें, किस पत्रकार ने उठाई थी राम रहीम के खिलाफ आवाज?
जानियें, किस पत्रकार ने उठाई थी राम रहीम के खिलाफ आवाज?

सच्चा डेरा के प्रमुख राम-रहीम बलात्कार के मामलें में दोषी ठहरा दिये गये है, जिसकी वजह से शुक्रवार से हिंसा का महौल बना हुआ है। डेरा के समर्थकों ने हरियाणा में हिंसात्मक रवैया अपना रखा है, जिसकी वजह से प्रदेश में धारा-144 लागू किया गया है। हिंसा की आग सिर्फ हरियाणा तक ही नहीं सीमित रही बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में भी आ पहुंची है। यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि राम रहीम के करतूत को सजा तक पहुंचाने में किसका हाथ है, हालांकि जिसने सबसे पहले आवाज उठाई थी अब वो हमारे बीच में नहीं रहे है। अब आपके मन में उस शख्स को जानने की इच्छा प्रबल हो रही है, तो चलिये आपको रूबरू कराते है उस शख्स से।

आपको बता दें कि साध्वियों के रेप के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पंचकूला सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दिया है। जिसके बाद साल 2002 के इस मामले के हर एक पन्ने खोलें जाने लगे है। इसी मामले में सबसे मुख्य रोल पत्रकार राम चंदेर छत्रपति का है, जिनकी बाद में हत्या कर दी गई थी।

क्या था मामला..
आपको बता दें कि साल 2002 में गुमनाम लड़कियों ने डेरा के अंदर हो रहे यौन उत्पीड़न को लेकर चिट्ठियां लिखी थी, जिसके बाद से पत्रकार छत्रपति ने मामले में जांच शुरू की। खबर के मुताबिक, पत्रकार छत्रपति ‘पूरा सच’ के नाम से अखबार निकालते थे, जिसमें उन्होंने एक गुमनाम पत्र को छाप दिया था। जिसमें दो साध्वियों के साथ रेप और हिंसा की बात पर बहुत ही मार्मिक घटना का जिक्र किया गया था।
आपको बता दें कि चिठ्ठी को ‘पूरा सच’ अखबार में छापने के कुछ दिनों बाद 24 अक्टूबर 2002 को छत्रपति पर कातिलाना हमला हुआ था। खबर के मुताबिक, पत्रकार छत्रपति को घर से बुलाकर पांच गोलियां मारी गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। अभी ये केस भी कोर्ट में चल रहा है।

पत्रकार ने साध्वियों का दिया था साथ..

खबर की माने तो पत्रकार छत्रपति की रिपोर्ट के बाद पूरे क्षेत्र में उनकी बहादुरी की चर्चा होने लगी थी। साथ ही कई और साध्वियों ने उन्हें मामलें की सबूत भी उपलब्ध कराई थी। माना जाता है कि उनकी मौत के बाद सीबीआई के जांच अधिकारी सतीश डागर ने भी इस केस में बड़ी भूमिका निभाई। साथ ही साध्वियों को पत्रकार सपोर्ट मिलता रहा।

पत्रकार के बाद सीबीआई ने की जांच!

खबर तो यह भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पास ये मामला जाने के बाद इसे सिरसा के सेशन जज को सौंपा गया था, जिसे दिसंबर 2003 में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। साथ ही सतीश डागर ने इसकी जांच शुरू की। आपको यह भी बता दें कि डागर ने ही सबसे पहले साध्वी को खोजा था और साध्वियों को बयान देने के लिए तैयार किया था।