ऐसा कौन सा मंदिर है जहां पूजा -अर्चना करने से श्राप मिलता है?

1411

भारत में ऐसे कई मंदिर है जो रहस्य से पूर्ण है। देश के मंदिर से सैकड़ो लोगो की आस्था जोड़ी है। मंदिर, में पूजा -अर्चना कर लोग भगवान के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते है। लेकिन एक ऐसा भी मंदिर है जहां भगवान की पूजा -अर्चना करने से श्राप मिलता है। इस मंदिर में भाड़ी तादाद में भक्त आते है और देश ही नहीं विदेश से लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते है। लेकिन यहाँ पूजा नहीं करते है। यह मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है। माना जाता है की इस भव्य मंदिर में सदियों से पूजा नहीं की गई।

उत्तराखंड राज्य के जनपद सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ से धारचूला जाने वाले मार्ग पर लगभग सत्तर किलोमीटर दूर स्थित है कस्बा थल जिससे लगभग छः किलोमीटर दूर स्थित है ग्राम सभा बल्तिर। यहीं पर एक अभिशप्त देवालय है नाम से विख्यात है। आप जानकर हैरान हो जाएंगे की यह भव्य मंदिर सिर्फ एक हाथों से बनाया गया है। यह मंदिर काफी ज्यादा पुराना है। किसी समय यहां राजा कत्यूरी का शासन था। उस दौर के शासकों को स्थापत्य कला से बहुत प्यार था। यहां तक कि वे इस मामले में दूसरों से प्रतिस्पर्द्धा भी करते थे।

लोगों का मानना है कि एक बार यहां किसी कुशल कारीगर ने मंदिर का निर्माण करना चाहा। वह काम में जुट गया। कारीगर की एक और खास बात थी। उसने एक हाथ से मंदिर का निर्माण शुरू किया और पूरी रात में मंदिर बन कर तैयार हो गया था। इस मंदिर में पूजा न होने के पीछे यह कथा मशहूर है की जब स्थानीय पंडितो ने उस देवालय के अंदर उकेरी गयी भगवान शंकर के लिंग और मूर्ति को देखा तो यह पता चला कि रात्रि में शीघ्रता से बनाये जाने के कारण शिवलिंग का अरघा विपरीत दिशा में बनाया गया है जिसकी पूजा करना फलदायक नहीं हो सकता था। अगर इसकी पूजा की गई तो विपरीत परिणाम मिल सकते है। इसलिए यहाँ स्थापित हुये शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है।

यह भी पढ़ें : हनुमान चालीसा की इन 5 चौपाइयों के जप से होते हैं सभी तरह के कष्ट दूर