सवाल 130 – जानिए अयोध्या केस से भी ज्यादा लम्बा चला कौन सा मामला?

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अयोध्या विवाद देश का सबसे लम्बा चलने वाला मामला माना जाता है अयोध्या मामले में कुल 40 दिन सुनवाई हो चुकी है लेकिन कोई ऐसा भी केस है जहाँ 63 दिन कोर्ट में सुनवाई चली थी। और यह अयोध्या से भी बड़ा मसाला है जिसकी सुनवाई पर इतना लम्बा समय लगा। इस केस के बारे में जानकर आप भी चौंक जायेगे।

ये केस था केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार मामले के अनुसार केरल में एक इडनीर नाम का 1200 साल पुराना हिंदू मठ था. केरल और कर्नाटक में इसका काफी सम्मान था . मठ के प्रमुख को केरल के शंकराचार्य का दर्जा दिया जाता है. ऐसे में स्वामी केशवानंद भारती केरल के तत्कालीन शंकराचार्य थे. 19 साल की उम्र में संन्यास लेकर वो अपने गुरु की शरण में आए थे, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद वहां के मुखिया बन गए।

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उस दौरान केरल सरकार ने दो भूमि सुधार कानून बनाए गए थे . इन कानूनों से मठ के मैनेजमेंट पर कई पाबंदियां लगाने की कोशिश हो रही थी. केशवानंद भारती ने अदालत में सरकार की इन्हीं कोशिशों को चुनौती दी थी. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए अपील की कि देश के हर नागरिक को धर्म-कर्म के लिए संस्था बनाने, उनका मैनेजमेंट करने और इस सिलसिले में चल और अचल संपत्ति जोड़ने का अधिकार है. केशवानंद भारती के अनुसार कि सरकार का बनाया कानून उनके संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है.

यह केस सुप्रीम कोर्ट पहुँचा , और बहुत ही लम्बा चला यह केस इस केस के लिए 13 जजों की एक बेंच तैयार की गयी थी चीफ जस्टिस एस एम सीकरी की अगुवाई में केस की आखिरी सुनवाई में सात और छह जज अलग अलग मत थे.फैसले में कहा गया कि संविधान का मूल ढांचा नहीं बदल सकता, संसद इसमें कोई संशोधन नहीं कर सकती. इस केस में यह फैसला था की सविधान सर्वोच्य है और सविधान के ऊपर कोई भी नहीं।

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इस मामले में सात जजों CJI एस एम सीकरी, जस्टिस के एस हेगड़े, ए के मुखरेजा, जे एम शेलात, ए न ग्रोवर, पी जगमोहन रेड्डी और एच आर खन्ना की वजह से ये फैसला दिया गया. वहीं जस्टिस ए एन रे, डी जी पालेकर, के के मैथ्यु, एम एच बेग, एस एन द्विवेदी और वाई के चंद्रचूड़ इस फैसले के खिलाफ थे। आज भी यह केस इतिहास में दर्ज है।