जीबी रोड का इतिहास और क्या है वहां के मौजूदा हालात…जीबी रोड का नाम सुनते ही आपके दिमाग में सेक्स वर्कर्स, वेश्यालय आदि आते होंगे, लेकिन यहां इन सब के अलावा ऑटो मोबाइल और हार्डवेयर का मार्केट भी है. यहां दिन में हार्डवेयर की दुकाने खुलती हैं, लेकिन रात में शुरू होता है जिस्म का व्यापार.पहले जीबी रोड का नाम गारस्टिन बास्टिन रोड हुआ करता था, लेकिन साल 1965 में इस नाम को बदलकर स्वामी श्रद्धानंद मार्ग कर दिया गया है.
जीबी रोड के इस व्यापार का इतिहास काफी पुराना है. बताया जाता है कि मुगलकाल में इस क्षेत्र में कई रेडलाइट एरिया हुआ करते थे और अंग्रेजों के समय इन क्षेत्रों को एक साथ कर दिया गया. उसके बाद इस इलाके का नाम दिया गया जीबी रोड.नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास अजमेरी गेट से लेकर लाहौरी गेट के बीच का इलाका जीबी रोड कहा जाता है.जीबी रोड पर करीब 25 इमारते हैं और इन इमारतों में 100 से अधिक वेश्यालय चलते हैं.
बताया जाता है कि यहां 1000 से अधिक सेक्स वर्कर्स काम करने को मजबूर है.कुछ साल पहले सामने आई एक रिपोर्ट के अनुसार करीब यहां हर महीने करीब 6 लाख कंडोम का इस्तेमाल होता है. इस मामले में महिला आयोग ने दिल्ली एड्स कंट्रोल सोसाइटी को खत लिखकर कंडोम सप्लाई के बारे में विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी थी.कई बार जीबी रोड पर सेक्स व्यापार के लिए लड़कियों को गुलाम बनाए जाने की खबरें आती रही हैं और कई बार पुलिस ने कई लड़कियों को मुक्त भी करवाया है.
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