देश में पैट्रोल के दाम देश के कुछ हिस्सों में 100 रूपये से ज्यादा जाने के बाद देश के हिस्सों में लोग कई तरह से अपना विरोध दर्ज कर रहें हैं. जहाँ तक विपक्ष की बात है, तो विपक्ष द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है तथा वर्तमान सरकार और उसकी सहयोगी पार्टियों द्वारा इस फैसले को सरकार की मजबूरी बताया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए पहले की सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है.
बीजेपी की सरकार बनने से पहले जब देश में कांग्रेस की सरकार थी. उस समय वर्तमान सरकार में मंत्री बने नेताओं के क्या विचार थे जानते हैं. नरेंद्र मोदी जी ने 2012 में कहा था कि पेट्रोल-डीजल के दाम जिस तरह बढ़ाए गए थे, वो दिल्ली में बैठी सरकार की नाकामी का जीता-जागता सबूत है. नितिन ग़डकरी ने 2010 में कहा था कि जब दाम बढ़ते हैं, तो सरकार का टैक्स भी बढ़ता है. टैक्स में राहत देकर दाम कम किए जा सकते हैं.
इसके अलावा राजनाथ सिंह ने भी पैट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम पर अपने विचार रखते हुए कहा था कि पैट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी मध्यमवर्गीय लोगों के लिए तो परेशानी है ही, इससे गरीबों के सामने जीने-मरने का सवाल खड़ा हो गया है. मुख्तार अब्बासी नकवी ने कहा था कि बाजार माफिया पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाकर महंगाई में इजाफा कर रहा है और सरकार माफिया से मिली हुई है. स्मृति ईरानी जी भी पहले पैट्रोल के कीमतों में बढ़ोत्तरी का विरोध कर चुकी है. उन्होंने कहा था कि महंगाई कम करने की बात कही थी, लेकिन सरकार क्यों बार-बार पेट्रोल-डीजल की कीमत क्यों बढ़ाती है.
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बीजेपी के नेता रविशंकर प्रसाद भी तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का विरोध करते हुए कह चुके हैं कि सरकार ने डीजल की कीमतें फिर बढ़ा दी हैं. इसका असर गरीबों के खाने की कीमतों तक पर पड़ेगा.