श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर करनाल हरियाणा का इतिहास क्या है

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श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर
श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर

कर्ण नगरी के नाम से प्रसिद्ध हरियाणा का करनाल आस्था का भी एक केंद्र रहा है. विभिन्न समुदायों के संतों ने समय समय पर यहां अपना आश्रय स्थल बनाया है तथा यहां से अपने संप्रदाय का प्रचार किया है. हरियाणा के करनाल में स्थित श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर भी संतों की रहमत का एक शानदार उदाहरण है. यह मंदिर करनाल के माँडल टाउन में स्थित है. इस मंदिर को परम हंस बाबा दयाराम साहेब धाम के नाम से भी जाना जाता है. परमहंस दयाराम साहेब श्रीकृष्ण प्रणामी धर्म के अनुयायी थे.

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श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर

बाबा दयाराम साहेब का जन्म कबीर वाला नामक स्थान पर हुआ जो वर्तमान में पाकिस्तान में है. 15 वर्ष की आयु तक बाबा ने वेद-वेदांत , गीता तथा अनेंक धर्मग्रंथों का अध्ययन कर लिया था. इन्होनें 3 साल तक ऋषिकेश में कठोर तपस्या की. इसके बाद उन्होंने जन भलाई का काम किया. उनके व्यवहार के कारण उनके अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. उनकी प्रसिद्धि का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि विदेशों में भी उनके अनुयायी हैं.

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राधा-कृष्ण

विशेष अनुष्ठोनों पर हरियाणा के करनाल में स्थित श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर में विदेशों से भी लोग आते हैं. इस मंदिर में सभी धर्मों के लोग एकसाथ अराधना करते हैं. इसलिए इस मंदिर को सर्वधर्म स्थली भी कहा जाता है. बाबा दयाराम साहेब ने रंग, धर्म- संप्रादायिकता तथा कट्टरता से दूर रहते हुए सभी प्रणियों के कल्याण की बात की है. बाबा दयाराम साहेब की याद में हर वर्ष यहां पर भंडारे और भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है.

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श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर के परिसर में श्री कृष्ण और राधा मंदिर में परम पावन गुरूवाणी श्रीमत् तारतम् सागर की सदैव पूजा होती है. बाबा ने श्रीकृष्ण की महिमा के प्रचार के साथ ही लोगों को इस सिद्धात के बारे में भी बताया की सेवा करने से पाओगे पार. उनके द्वारा की गई सेवा का ही परिणाम है कि आज वो पूजे जाते हैं