ईशनिंदा कानून क्या है और इसकी सजा ?

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ईशनिंदा कानून क्या है और इसकी सजा ?
ईशनिंदा कानून क्या है और इसकी सजा ?

ईशनिंदा कानून क्या है और इसकी सजा ? ( What is blasphemy law and its punishment? )

किसी भी देश या समाज में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कानूनों का होना जरूरी होता है. यहीं वजह है कि सभी देशों के अपने अपने क्षेत्र, समाज और शासन व्यवस्था के आधार पर कुछ कानून होते हैं. अगर उनका पालन नहीं किया जाता है, तो ऐसे में सजा का भी प्रावधान होता है. इसी कारण कानूनों के संबंध में लोगों के मन में तीव्र जिज्ञासा होती है. इसका कारण यह भी है कि कानून के बारे में जानकारी ना होने के कारण भी हम कुछ कानून गलती से तोड़ देते हैं. इसी वजह से लोगों के मन में कानून से संबंधित कई तरह के सवाल होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि ईशनिंदा कानून क्या है और इसकी सजा ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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ईशनिंदा कानून

ईशनिंदा कानून चर्चा में क्यों-

किसी भी विषय पर बात करने से पहले आमतौर पर हमारे मन में यह सवाल जरूर आता है कि ये सवाल अभी लोगों के मन में कहां से आया. अगर ईशनिंदा कानून की बात करें, तो अभी हाल ही में हमारे देश में चल रहे वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के दौरान विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने देश में ईशनिंदा के विरुद्ध कड़े कानून को लागू करने की मांग की है. जब इस कानून को भारत में लागू करने की मांग उठी, तो लोगों के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है कि ऐसा इस कानून में क्या है और ये कानून क्यों होता है.

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ईशनिंदा कानून

ईशनिंदा कानून –

ईशनिंदा की बात करें, तो इसका अर्थ होता है कि किसी धर्म या मजहब की आस्था का मजाक बनाना. किसी धर्म प्रतीकों, चिह्नों, पवित्र वस्तुओं का अपमान करना, ईश्वर के सम्मान में कमी या पवित्र या अदृश्य मानी जाने वाली किसी चीज के प्रति अपमान करना ईशनिंदा माना जाता है. अगर बिल्कुल साधारण शब्दों में समझे तो किसी की धर्म या आस्था को ठेस पहुँचाना या उसकी इज्जत ना करना. अगर इसके इतिहास पर नजर डालें, तो ईशनिंदा के खिलाफ सबसे पहले ब्रिटेन ने वर्ष 1860 में कानून लागू किया था. इसके बाद वर्ष 1927 में इसका विस्तार किया गया. धीरे धीरे इसको लेकर विभिन्न देशों ने कानून बनाएं.

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यह कानून काफी देशों में है. इस कानून को तोड़ने पर कई देशों में मौत की सजा दी जाती है. ईरान , साऊदी अरब , पाकिस्तान की बात करें, तो इनमें मौत या उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. इनके अलावा मिस्त्र या इंडोनेशिया में 5 वर्ष तक जेल में रहना पड़ता है. वहीं अगर अफगानिस्तान की बात करें , तो वहां शरिया कानून लागू है. अगर कोई ईशनिंदा कानून को तोडता है, तो उसे फांसी की सजा दी जाती है. अफ्रीकी देश मॉरीटेनिया में भी फांसी की सजा दी जाती है.

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