प्रदूषण ने दिल्ली की हालत खस्ता कर दी है, दिल्ली की हवा दिल्ली वासियों के लिए जहर बनती जा रही है चारों तरफ धुंध के चादर दिखती है। सांस लेना दिन प्रति दिन मुश्किल होता जा रहा है। एक स्वस्थ इंसान हर रोज करीब 20 हजार बार सांस लेता है, और इसमें फेफड़े हमारी मदद करते हैं, आज के प्रदूषित वातावरण और लोगों के रहन- सहन की वजह से फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है।
धूम्रपान से भी और तंबाकू,के सेवन से भी फेफड़ों पर बुरी तरह प्रभावित होती है। जो लोग धूम्रपान करते हैं उनके फेफड़ों में कई तरह के हानिकारक पदार्थ जम जाते हैं जिससे सेहत पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे बहुत से तरीके है जिनसे फेफड़ों को साफ़ रखा जा सकता है और अपनी सेहत का ध्यान रखा जा सकता है।
व्यायाम
नियमित व्यायाम से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है और यह स्ट्रोक और हृदय रोग सहित कई स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम को कम करता है। व्यायाम से शरीर की सांस लेने की दर बढ़ जाती है, जिससे मांसपेशियों को ऑक्सीजन की अधिक आपूर्ति होती है। यह परिसंचरण में सुधार भी करता है, जिससे शरीर को अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने में अधिक कुशल बनाया जाता है ।
भाप
स्टीम थेरेपी, या वाष्प साँस लेना, वायुमार्ग को खोलने और फेफड़ों के बलगम को निकालने में मदद करने के लिए भाप बहुत कारगर है। फेफड़ों की स्थिति वाले लोग ठंड या शुष्क हवा में बिगड़ते हुए अपने लक्षणों को देख सकते हैं। भाप हवा में गर्मी और नमी जोड़ती है, जो सांस लेने में सुधार कर सकती है और वायुमार्ग और फेफड़ों के अंदर बलगम को ढीला करने में मदद करती है। जल वाष्प को साँस लेना तत्काल राहत प्रदान कर सकता है और लोगों को अधिक आसानी से साँस लेने में मदद कर सकता है।
ग्रीन टी
ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते है, जो फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद करते है। इन तत्वों से फेफडे सही रहते थे और फेफड़ सुरक्षित रहते है। ग्रीन टी का सेवसे करने से स्वास्थ्य ठीक रहती थी।
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