पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण के फायदे ,नुकसान और प्रयोग क्या हैं ?

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पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण के फायदे ,नुकसान और प्रयोग क्या हैं ?
पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण के फायदे ,नुकसान और प्रयोग क्या हैं ?

पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण के फायदे ,नुकसान और प्रयोग क्या हैं ? ( What are the advantages, disadvantages and uses of Patanjali Divya Vatari Churna? )

वर्तमान समय में हमें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसके लिए वैसे तो बाजार में कई तरह के उत्पाद उपलब्ध है. लेकिन कुछ समय से देखने को मिला है कि लोगों का भरोसा आयुर्वेदिक दवाओं पर बढ़ा है. इसी कारण आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं. पतंजलि ने आयुर्वेदिक दवाओं के क्षेत्र में एक बड़ी विशेष पहचान बना ली है. इसी कारण आमतौर पर लोगों के मन में पतंजलि के उत्पादों से संबंधित सवाल होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण के फायदे ,नुकसान और प्रयोग क्या हैं ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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दिव्य वातारि चूर्ण

पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण के फायदे –

अगर इस दवा के प्रयोग से होने वाले फायदे कि बात करें, तो मुख्य रूप से यह आयुर्वेदिक दवा वात रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है. पेट के रोगों में इसका प्रय़ोग करने से जल्द आराम मिलता है. इसके अलावा भी यह काफी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के उपचार में लाभदायक सिद्ध होती है. काफी बार ऐसा देखने को मिलता है कि जब पेट में गैस बन जाती है, तो उसकी वजह से हमारे जोडों में भी दर्द हो जाता है. ऐसी स्थिति में भी यह बहुत उपयोगी सिद्ध होता है. जब हम काफी औषधियों को सूखाकर उन्हें बारिक पिस लेते हैं, तो ऐसे में उसे चूर्ण कहा जाता है.

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पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण

वातारि चूर्ण की मात्रा-

किसी भी दवा को प्रयोग करने से पहले उसकी इस्तमाल की मात्रा को जान लेना भी आवश्यक होता है क्योंकि कम दवा प्रयोग करने से हमें उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है तथा अधिक दवा प्रयोग करने से हमें उसका नकारात्म प्रभाव देखने को मिल सकता है. इसकी मात्रा की बात करें, तो 2 से 5 ग्राम सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ प्रय़ोग करना चाहिए. इसका प्रयोग हम खाना खाने से पहले या फिर खाना खाने के बाद भी कर सकते हैं. इसके प्रय़ोग की जाने वाली सामग्री की बात करें, तो इसमें मेंथी , अदरक , कुटकी , अश्वगंधा इत्यादी का प्रयोग किया गया है.

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पतंजलि दिव्य वातारि चूर्ण से होने वाले नुकसान की बात करें, तो यह एक आयुर्वेदिक औषधि है. इसका दुष्प्रभाव नहीं होता है. लेकिन फिर भी अगर आपको कोई ऐसी समस्या या दुष्प्रभाव दिखाई देता है, तो तुरंत डॅाक्टर से संपर्क करना चाहिएं. इसके प्रयोग से पहले भी एक बार अपने डॅाक्टर से सलाह मशवरा जरूर कर लें.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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