फिस्टुला या भगंदर क्या और बचाव कैसे करें ?

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फिस्टुला या भगंदर क्या और बचाव कैसे करें ? ( What and how to prevent fistula ? )
फिस्टुला या भगंदर क्या और बचाव कैसे करें ? ( What and how to prevent fistula ? )

फिस्टुला या भगंदर क्या और बचाव कैसे करें ? ( What and how to prevent fistula ? )

फिस्टुला या भगंदर – वर्तमान समय में हमें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वैसे तो वर्तमान समय में हमारे चिकित्सा विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि डॅाक्टर लगभग बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है तथा जिसका इलाज नहीं कर सकते हैं, उनके इलाज के करीब हैं.

बीमारियों का शुरूआत में पता लग पाना भी बहुत ही महत्व रखता है, क्योंकि यदि बीमारी बढ़ जाती है, तो इसका इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है. इसी कारण लोगों के मन में अनेकं बीमारियों के बारे में जानने की जिज्ञासा होती है. इससे उनके मन में कई तरह के सवाल पैदा होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि फिस्टुला या भगंदर क्या और बचाव कैसे करें ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

फिस्टुला या भगंदर
फिस्टुला या भगंदर

फिस्टुला या भगंदर क्या –

किसी भी बीमारी के बचाव या इलाज से पहले हमें यह समझना चाहिएं कि आखिर यह बीमारी होती क्या है. यह छोटी नली की तरह होता है, जो आंत के अंतिम हिस्से को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है. गुदा नली में पस जमा होने के कारण कई बार ऑपरेशन की जरुरत पड़ जाती है.यह बहुत ही दर्दनाक स्थिति होती है.

अगर इस बीमारी के पीछे के कारणों की बात करें, तो मलाशय में संक्रमण के कारण यह समस्या हो सकती है. आरंभ में यह एक फोडा होती है. लेकिन अगर इसकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं, तो यह एक गंभीर समस्या बनकर सामने आती है. कुछ लोगों में इसका कारण बैक्टीरिया संक्रमण भी होता है. जिसकी वजह से सप्सिस हो जाता है.

वैसे यह बीमारी पुरूष और महिला दोनों को हो सकती है. लेकिन महिलाओं की तुलना में पुरूषो में यह अधिक देखने को मिलती है. इस बीमारी के बारे में माना जाता है कि यह उम्र बढने के साथ होने वाली समस्या है. लेकिन वयस्कों में भी यह बीमारी देखने को मिलती है.

फिस्टुला या भगंदर
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भगंदर के लक्षण –

किसी भी बीमारी को अच्छे से समझने के लिए हमें उसके लक्षणों को समझना जरूरी होता है. लक्षणों को समझने की वजह से ही हम एक बीमारी का शुरूआत में इलाज करा सकते हैं तथा इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है.

इसके इसके लक्षणों की बात करें, तो इसमें गुदा में बार-बार फोड़े होना, गुदा के आसपास दर्द और सूजन , शौच करने में दर्द मलद्वार से रक्तस्नाव बुखार लगना, ठंड लगना और थकान होना कब्ज होना, मल नहीं हो पाना गुदा के पास से बदबूदार और खून वाली पस निकलना, बार-बार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन इत्यादी लक्षण देखने को मिलते हैं. अगर हमें ये लक्षण देखने को मिले तो हमें इसके लिए तुरंत डॅाक्टर से संपर्क करना चाहिएं तथा इसका इलाज शुरू कराना चाहिएं.

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भगंदर से बचाव –

अगर हम शुरूआत में इसकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं, तो बाद में हमें इसकी शल्य चिकित्सा या फिर सर्जरी करानी पड़ सकती है. लेकिन हाँ , हम इस बीमारी से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. जिससे हम खुद को इस बीमारी से बचा सकते हैं.
⦁ हमारे पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए हमें सुबह व्यायाम करना चाहिएं.
⦁ प्रयाप्त मात्रा में फाइबर का सेवन करना चाहिएं.
⦁ शौच को अधिक देर तक ना रोंकें.
⦁ हमें अधिक से अधिक तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिएं.
⦁ शराब या कैफिन का प्रयोग करने से बचना चाहिएं.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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