UP Election: अखिलेश के खिलाफ बघेल, योगी के खिलाफ सुभावती… जानिए क्या कहता है चुनावी समीकरण

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UP Election: अखिलेश के खिलाफ बघेल, योगी के खिलाफ सुभावती… जानिए क्या कहता है चुनावी समीकरण

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) को इस बार दो ध्रुवीय बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहा है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) दिखती है। अन्य दलों को चुनावी लड़ाई से बाहर करने की कोशिश शुरुआती दिनों से ही हो रही है। पहले सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की। इसके बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) भी चुनावी मैदान में कूद पड़े। मैनपुरी के करहल विधानसभा सीट (Karhal Assembly Seat) से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी मैदान में उतरे हैं। वहीं, योगी ने गोरखपुर शहर विधानसभा सीट (Gorakhpur Sadar Vidhan Sabha Seat) से पर्चा दाखिल किया है।

भाजपा और सपा की रणनीति एक-दूसरे को हर हाल में पछाड़ने की है। इसको देखते हुए विधानसभा चुनाव को लेकर जारी किए जाने वाले उम्मीदवारों पर गौर करना जरूरी होगा। अखिलेश यादव ने जैसे ही चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की, भाजपा की ओर से उनके खिलाफ सशक्त उम्मीदवार उतारने पर चर्चा शुरू हो गई। अखिलेश यादव ने जिस दिन करहल विधानसभा सीट से नामांकन किया, उसी दिन करीब एक घंटे के अंतराल पर भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने नामांकन कर दिया। इस प्रकार करहल की लड़ाई अखिलेश के लिए चुनौती वाली बना दी गई।

सपा ने उम्मीदवार घोषित करने में लगाए 4 दिन
समाजवादी पार्टी की ओर से भी सीएम योगी आदित्यनाथ को घेरने की योजना तैयार की गई। गोरखपुर शहर सीट से भाजपा विधायक राधामोहन दास अग्रवाल को पहले सपा ने अपने पाले में लाने की कोशिश की। वे तैयार नहीं हुए। इसके बाद पार्टी ने सोमवार को सुभावती शुक्ल को उम्मीदवार घोषित किया। वे भी भाजपा से संबद्ध रही हैं। भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी हैं। उपेंद्र दत्त शुक्ल भाजपा के टिकट पर वर्ष 2018 का गोरखपुर लोकसभा उप चुनाव लड़े और हारे थे। सुभावती ने हाल में ही समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली और उन्हें सपा ने गोरखपुर से खड़ा कर दिया। शुक्रवार को योगी के नामांकन के चार दिन बाद सपा ने उम्मीदवार ही तय किया है।

गोरखपुर में वोटरों का गणित अहम
गोरखपुर सदर सीट पर करीब 4.50 लाख वोटर हैं, जिनमें सबसे अधिक कायस्थ वोटरों की संख्या है। यहां कायस्थ 95 हजार, ब्राह्मण 55 हजार, मुस्लिम 50 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 45 हजार, निषाद 25 हजार, यादव 25 हजार, दलित 20 हजार इसके अलावा पंजाबी, सिंधी, बंगाली और सैनी कुल मिलाकर करीब 30 हजार वोटर अनुमानित हैं। हालांकि, कहा जाता है कि सभी जातियों के वोटर चुनाव में जाति को देखकर नहीं, बल्कि गोरखनाथ मंदिर यानी योगी आदित्यनाथ के नाम पर वोट देते हैं। ऐसे में सुभावती शुक्ल के जरिए ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की समाजवादी पार्टी की कोशिश की जा रही है। इसका परिणाम तो चुनाव ही बताएगा।

अखिलेश के सामने चुनौती बड़ी
अखिलेश यादव के सामने चुनौती बड़ी है। करहल विधानसभा सीट पर भले ही यादव वोट बैंक का बर्चस्व है। एसपी सिंह बघेल के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला कड़ा होता दिखने लगा है। करहल विधान सभा क्षेत्र में करीब 3 लाख 71 हजार वोटर हैं। इसमें यादव वोटरों की संख्या लगभग 1 लाख 44 हजार है। मतलब कुल वोटर्स का 38 फीसदी वोट केवल यादवों का है। दूसरे नंबर पर क्षत्रिय मतदाता हैं। इसके अलावा लोधी और अन्य समाज के वोटर भी हैं। यहां से केवल एक बार भाजपा जीत दर्ज करने में कामयाब हुई है। लगातार सपा का कब्जा रहा है। पार्टी बड़े अंतर से चुनाव जीतती रही है। एसपी बघेल उच्च जाति और ओबीसी वोटरों को एकजुट करने में जुटे हैं, जो यादव वोट बैंक को सीधी टक्कर देती दिख रही है।

अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के चुनावी मैदान में उतरने से रोचक हुआ मुकाबला



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