UP Chunav news : चुनाव करीब आते ही कपल्स के बीच भी खूब हो रही हैं चुनावी चर्चाएं, मोहब्बत वाले हफ्ते से पहले चुनाव से आशिकी

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UP Chunav news : चुनाव करीब आते ही कपल्स के बीच भी खूब हो रही हैं चुनावी चर्चाएं, मोहब्बत वाले हफ्ते से पहले चुनाव से आशिकी

लखनऊ : राजनीति की दिशा तय करने वाले यूपी चुनाव (UP Assembly Election) का माहौल बाहर ही नहीं बल्कि लोगों के मन में भी घर कर चुका है। सियासत के समंदर में अपनी-अपनी विचारधाराओं की कश्ती लेकर चलने वाले यहां कम नहीं हैं। ऐसे में मोहब्बत वाले हफ्ते की दरवाजे पर एंट्री भी इस चुनावी पारे को कम नहीं कर पा रही है। कहीं पत्नी भगवा रंग की दीवानी है तो कहीं पति समाजवाद के (political debate in household) नारे से प्रेरित है। कहीं, बॉयफ्रेंड हाथ के साथ है (election talking points in couples too) तो कहीं गर्लफ्रेंड सर्वजन हिताय की हितैषी है। ऐसे में सियासी माहौल किस तरह वैलंटाइंस वीक पर भारी पड़ने वाला है यह चुपके से जानने की कोशिश की हमने।

ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर टेबल तक पर चर्चा
यूपी इलेक्शन जब सिर पर खड़े हों और ब्रेकफास्ट-डिनर की टेबल पर चुनाव की चर्चा ना हो, ऐसा कहां हो सकता है। प्राइवेट जॉब करने वाले गोमतीनगर के शैलेष नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के जबरा फैन हैं। सीधे कहें तो बात-बात पर उनका भगवा प्रेम नजर आता है। यही वजह है कि वह डबल इंजन की रट लगाए हुए हैं। वहीं, मायके से गांधी परिवार का प्रेम लेकर आईं उनकी पत्नी की सोच उनसे अलग है। शैलेष बताते हैं कि आजकल तो रोज ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर टेबल तक पर चुनावी अपडेट्स दी जाती रहती हैं। कई बार तो ड्रॉइंग रूम से शुरू हुई सियासी चर्चा बेडरूम तक पहुंच जाती है। कभी तर्कों की आंच पर रखकर पक्ष मजबूत किया जाता है तो कभी आंकड़ों के दम पर। हालांकि, हमने आजतक एक-दूसरे पर अपनी विचारधारा थोपने की कोशिश नहीं की। मगर एक बात तो सच है कि यूपी इलेक्शन का क्रेज इतना है कि अब तक पत्नी को वैलंटाइंस डे की याद नहीं आई, नहीं तो पूछ लेती कि इस बार क्या दे रहे हो।

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टीवी की जगह घर में शुरू हो जाती है डिबेट
राजाजीपुरम के रहने वाले प्रदीप की शादी आजमगढ़ से हुई है। प्रदीप खुद आजमगढ़ से ताल्लुक रखते हैं लेकिन काफी समय से लखनऊ में ही रह रहे हैं। ऐसे में भाजपा उनकी चहेती पार्टी हो गई है। वहीं, उनकी धर्मपत्नी आजमगढ़ से आई हैं तो उनमें समाजवादी विचारधारा जीवित है। यही वजह है कि चुनावी माहौल में उनके बीच चर्चा होना लाजिमी है। प्रदीप को जब कभी पत्नी की चुटकी लेना होता है तो न्यूज लगाकर वॉल्यूम बढ़ा देते हैं और मोदी-योगी की जय-जयकार करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में धर्मपत्नी का पारा भी बढ़ जाता है और टीवी की आवाज से ज्यादा तेज डिबेट घर में होने लगती है। खास बात यह है कि दोनों अपनी-अपनी चहेती पार्टी के कसीदे गढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते और मौका मिलते ही एक-दूसरे की खिंचाई भी करते रहते हैं। प्रदीप कहते हैं कि चुनाव का हमारे रिश्ते में कोई असर नहीं पड़ने वाला क्योंकि हम एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं। हमारा मत-भेद हो सकता है लेकिन मन भेद नहीं। हम लोग अपने जीवन के हर उतार-चढ़ाव को एकसाथ मिलकर पार करने के लिए वचनबद्ध हैं। वैसे भी वैलंटाइन वीक की गुलाबी ठंड में इस तरह की गरमागरम चर्चा करके काफी मजा आता है।

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कपल जरूर हैं लेकिन वोट को लेकर सेम पेज पर नहीं
उनकी सुबह एक-दूसरे को लव मेसेजेस भेजने के साथ होती है। लगभग हर रोज ही उनका साथ उठना-बैठना होता है। जीवन भर एक-दूसरे का हाथ थामे रहने का उन्होंने वादा किया है लेकिन जब बात अपनी पसंद की पार्टी ओर नेता को चुनने की आती है तो दोनों के रास्ते बदल जाते हैं। रश्मि बताती हैं कि मैं प्राइवेट जॉब करती हूं और ऋषि बिजनेसमैन हैं। हम कपल जरूर हैं लेकिन यह जरूरी नहीं कि हमारे सोच भी एक जैसी ही हो। वोट किस पार्टी को देंगे इसको लेकर हमारे मत भिन्न हैं। हम वोट देने साथ जाएंगे लेकिन बटन अलग-अलग पार्टी पर दबाएंगे। मैं महिला सुरक्षा और रोजगार जैसे चीजों को देख रही हूं तो वो अन्य बातों को। हाल ही में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों के रवैये को लेकर मैं ज्यादा ही अग्रेसिव हो गई थी। मुझे लगा था कि इस बार का वैलंटाइन खराब हो जाएगा लेकिन उसने मुझे कुछ नहीं कहा। जब मैंने उससे माफी मांगी तो उसने कहा कि वैलंटाइन के करीब आते ही तुम ज्यादा ही गुस्सा दिखाने लगती हो।

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पापा के सामने बंद हो जाती पतिदेवी की बोलती
आलमबाग के रहने वाले अभय शुक्ला की शादी चार साल पहले इटावा की एक लड़की से हुई थी, जबकि अभय का परिवार शहर की मिट्टी में ही पला-बढ़ा है। प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने वाले अभय राजनीति की भी ठीक-ठाक समझ रखते हैं। उनकी पसंद हाथी के चुनाव निशान वाली बसपा है, जबकि पत्नी का इलाका समाजवादी पार्टी का गढ़ रहा है। अभय बड़ी ठाठ से बताते हैं कि हमारी ससुराल इटावा की है। वहीं, धर्मपत्नी कहती हैं कि मुझसे तो यह राजनीतिक चर्चा में आगे निकल जाते हैं लेकिन जब पापा के सामने बैठते हैं तो इनकी बोलती बंद हो जाती है। पापा इतिहास के प्रोफेसर रहे हैं, जिस वजह से उनकी जानकारी काफी अच्छी है। कोरोना काल में भी पापा ने विडियोकॉल के जरिए पतिदेव को खूब ज्ञान बांटा। हम तीनों लोग विडियो कॉल पर बातें करते हैं। पापा भी हमारी बातों को खूब एंजॉय करते हैं। सबसे अच्छी बात यही है कि हम तीनों एक-दूसरे की बात सुनते हैं। पतिदेव हंसी-मजाक तो करते हैं लेकिन वे हमारा या हम उनका कभी बातों से दिल नहीं दुखाते। यही हमारे खूबसूरत से रिश्ते की बुनियाद रहा है।



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