UP Chunav: साइकल पर बाहरियों की सवारी से अपनों की उम्मीदें पंक्चर, कई जिलों में सपाई दावेदारों की बढ़ी मुश्किलें

164

UP Chunav: साइकल पर बाहरियों की सवारी से अपनों की उम्मीदें पंक्चर, कई जिलों में सपाई दावेदारों की बढ़ी मुश्किलें

लखनऊ
योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और उनके सपा में जाने की खबरें आई। उसी दिन शाम को ऊंचाहार से सपा विधायक मनोज पांडेय का बयान सियासी गलियारों में तैरने लगा कि मैं ऊंचाहार से ही लड़ूंगा। इस बयान की वजह यह थी कि स्वामी के बेटे उत्कृष्ट मौर्य 2017 में ऊंचाहार से मनोज के खिलाफ लड़े थे। असर यह रहा कि अगले दिन ही अखिलेश को मनोज पांडेय को बुलाकर आश्वस्त करना पड़ा। दरअसल साइकल पर बाहरियों की जमकर हो रही सवारी से कई सीटों पर सपाई दावेदारों की उम्मीदें ‘पंक्चर’ हो रही हैं। इसको लेकर बेचैनी के सुर भी उठ रहे हैं।

सपा ने इस बार टिकटों के लिए आवेदन मांगे थे। साथ ही पार्टी में बाहरियों के लिए दरवाजे भी खोल दिए थे। पार्टी में अब तक भाजपा, बसपा व अपना दल मिलाकर करीब 22 सीटिंग विधायक आ चुके हैं। इनमें लगभग सबके टिकट पक्के माने जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें से अधिकतर के पार्टी बदलने की वजह ही टिकट पक्का करना है। वहीं कई पूर्व विधायक भी शामिल हुए हैं, इसमें से भी कई की दावेदारी है। ऐसे में सपा में पांच साल से सीट पर काम रहे दावेदारों के माथे पर चिंता के लकीरें हैं। सपा की 10 उम्मीदवारों की पहली सूची में इस चिंता की वजह साफ दिखाई भी देती है। चरथावल से उम्मीदवार पंकज मलिक कांग्रेस से, धौलाना से असलम चौधरी व आगरा कैंट से टिकट पाने वाले कुंवर सिंह वकील कुछ महीनों पहले ही सपा में आए थे और उनका टिकट पक्का हो गया।

कई जिलों में दावेदारी पर संकट
कई जिलों में दावेदारी का यह संकट साफ दिख रहा है। मसलन अंबेडकरनगर की जलालपुर से सुभाष राय सपा के मौजूदा विधायक हैं। बसपा से आए राकेश पांडेय भी इसी सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। सुभाष पांडेय का कहना है कि मेरी पूरी तैयारी थी, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि यहां राकेश पांडेय चुनाव लडेंगे। उन्होंने कहीं और समायोजन का भरोसा दिया है। इसी जिले की अकबरपुर सीट से पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा लड़ते आ रहे हैं। अब वहां बसपा से आए रामअचल राजभर का दावा हो गया है। इससे राममूर्ति का टिकट संकट में है। राममूर्ति का कहना है कि वह 20 साल से विधानसभा के सभी लोगों के सुख-दुख के भागीदार हैं, इसलिए वह यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। पार्टी का जो भी निर्देश होगा उसका पालन करेंगे। बसपा से आए लालजी वर्मा कटेहरी से विधायक हैं। यहां सपा में राष्ट्रीय सचिव जयशंकर पांडेय व पूर्व मंत्री शंखलाल मांझी भी उम्मीद लगाए हुए हैं। रविवार को सपा में आ रहे दारा सिंह मऊ के मधुबन से विधायक हैं, इस बार वह घोसी से लड़ना चाहते हैं। यहां उपचुनाव में सपा के सुधाकर सिंह 2000 से भी कम वोटों से चुनाव हारे थे, जबकि पार्टी का सिंबल तकनीकी वजहों से उन्हें नहीं मिल पाया था।

सहारनपुर में भी वर्चस्व की लड़ाई
सपा ने सहारनपुर जिले के दो धुर विरोधियों को एक साथ साइकल बिठाया है। कांग्रेस से इमरान मसूद सपाई हो चुके हैं। दूसरी ओर भाजपा से इस्तीफा देकर धर्म सिंह सैनी भी साइकल पर सवार हैं। दोनों ही नकुड विधानसभा लड़ते हैं। सैनी लगातार दो चुनावों में नकुड़ में इमरान पर भारी पड़ रहे हैं। अब ऐसे में यहां भी सीटों के समायोजन का संकट फंसेगा। सूत्रों का कहना है कि सैनी नकुड़ से ही लड़ेंगे। इमरान मसूद को बेहट सीट से टिकट दिया जा सकता है। नकुड से सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास के बेटे जगपाल दास दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, बेहट जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी के दामाद उमर अली खां भी टिकट के लिए पसीना बना रहे हैं, अब इन दोनों की ही दावेदारी लगभग खत्म है। तिलहर से विधायक रोशन लाल वर्मा के सपा में आने के साथ ही वहां से सपा से टिकट की दावेदारी करने वालों के विरोध की चिट्ठियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। शिकोहाबाद से मुकेश वर्मा के भी सपा में शामिल होने के बाद पदाधिकारियों के सुर मुखर है।

सहयोगियों के भी टकरा रहे सुर
सम्मान व समायोजन के अखिलेश के दावे के बीच सहयोगियों के सुर भी टकरा रहे हैं। महान दल के केशव देव मौर्य सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर को जोकर कहने के बाद माफी मांग चुके हैं। अब उनके सुर स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर तीखे हैं। गुरुवार को उन्होंने कहा कि जब चुनाव आते हैं तो स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग दल बदलने लगते हैं। जब वह बसपा व भाजपा में थे तब उन्होंने अपने समाज के लिए आवाज नहीं उठाई। स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को यह कहकर परोक्ष रूप से जवाब दे दिया कि उन्होंने पार्टी नहीं बनाई है लेकिन उनका जनाधार किसी दल से कम नहीं है। ऐसे में अखिलेश के सामने सहयोगियों व पार्टी के भीतर उठने वाले सवालों के बीच भी समायोजन की चुनौती है।

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह कहते हैं, “जो भी पार्टी में आ रहे हैं और उन विधानसभाओं में जो दावेदारी के लिए प्रयासरत हैं, उन सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि मिलाकर हल निकालें व सामंजस्य बिठाकर पार्टी के विजय में योगदान दें। जिनको टिकट नहीं मिल पा रहा या किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता की अभी अपेक्षा पूरी नहीं हो पा रही, उन्हें सरकार बनने पर समायोजित किया जाएगा। किसी का अपमान नहीं होगा, किसी की अपेक्षा की पार्टी उपेक्षा नहीं करेगी।”

स्वामी प्रसाद मौर्य सहित भाजपा के कई नेता सपा में शामिल हुए

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News