पर्यटन मंत्री ने पर्यटकों के लिए एक ख़ास मांग की है, आप भी पढ़कर सोचने लगेंगे

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केंद्रीय पर्यटन मंत्री के.जे. अल्फोंस ने कहा कि देशी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों के द्वारा एक निश्चित “आचार संहिता” को फॉलो करने की आवश्यकता है, ताकि वे जिस जगह घूमने जाते हैं, उस जगह की संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप तालमेल बिठा सकें. केंद्रीय मंत्री अल्फोंस ने एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि, विदेशों में विदेशी बिकिनी पहन कर सड़कों पर चलते हैं. जब वे भारत आते हैं, आप विदेशियों से हमारे शहरों में बिकिनी पहन कर नहीं चलने की उम्मीद करते हैं. गोवा में वे सभी समुद्र के बीच पर ऐसा करते हैं. वे शहर में उसी तरह के ड्रेस में नहीं आते हैं. आप जहां और जिस देश जाते हैं, आपको वहां की संस्कृति की समझ की भावना होनी चाहिए और आपको उसी तरह से व्यवहार करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पर्यटकों को स्थानीय परंपराओं का सम्मान करना चाहिए और जो स्वीकार्य करने योग्य हो, उसे जरूर स्वीकार्य करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि लैटिन अमेरिका में एक शहर है, जहां महिलाएं बिकिनी में ही घूमती हैं. वहां वह पूरी तरह से स्वीकार्य है. मुझे वहां से कोई दिक्कत नहीं है. मगर जब आप इस देश में आते हैं, तो आपको इस जगह की संस्कृति और परंपरा का सम्मान करना चाहिए. मैं नहीं कह रहा हूं कि जब आप भारत आएं तो साड़ी पहने. नहीं. आप वह कपड़े पहनें जो यहां स्वीकार्य हैं.

यहाँ करें अपनी मर्ज़ी

बता दें कि पर्यटन मंत्री ने पिछले साल भी विदेशी पर्यटकों को चेतावनी दी थी. अल्फोंस ने कहा था कि विदेशी पर्यटक अपने देश में बीफ खा सकते हैं. इसिलए भारत आने से पहले पर्यटक वहीं से बीफ खाकर आएं.

खाने पीने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप भारतीय भोजन की आदत को अपना लें. मगर यहां कुछ निश्चित तरह के व्यवहार ही स्वीकार्य हैं. जब हम विदेश जाते हैं तो क्या हम उस तरह से व्यवहार नहीं करते, जिसकी वे उम्मीद करते हैं? हम करते हैं.

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विदेशों में अलग हैं नियम

पर्यटन मंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि वह उदारवादी हैं, जो दूसरे व्यक्ति के अधिकार में विश्वास करते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पास एक तरह से बोलने की आज़ादी है, मगर मेरी यह आज़ादी वहां समाप्त होती है, जहां आपकी आज़ादी शुरू होती है. कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जो किसी देश में स्वीकार्य मानी जाती हैं. तो चलिए हम एक-दूसरे को स्वीकार्य करना और सम्मान करना सीखते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यह आचार संहिता भारतीय पर भी लागू होते हैं.

अल्फोंस ने कहा कि ‘विदेशों के रेस्टोरेंट में, चाहे यह फ्रांस में हो या जर्मनी में हो, वहां एक शिष्टाचार है, जो यह कहता है कि आपकी बातचीत और आपकी हंसी आपके टेबल तक ही सीमित होनी चाहिए. अगर आप जोर से हंसते हैं या फिर जोर से बोलते हैं तो आपको वहां से बाहर निकाल दिया जाएगा या फिर पूरे रेस्टोरेंट के लोग आपको घूरते रहेंगे.