जान लें ये 20 कानूनी अधिकार, हमेशा फायदे में रहोगे

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Rules

मूल रूप से संविधान में नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए कई अधिकार दिए गए हैं। मगर कुछ क़ानूनी अधिकार ऐसे भी हैं जिनकी जानकारी न होने पर आपको मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। तो आज इस लेख में हम आपको 20 ऐसे बेहद ज़रूरी क़ानूनी अधिकारों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में हर हिन्दुस्तानी को पता होना चाहिए।

1- पुलिस अधिकारी FIR लिखने से मना नहीं कर सकते- दरअसल, आईपीसी की धारा 166 A के तहत यह प्रावधान है कि पुलिस ऑफिसर FIR लिखने से मना नहीं कर सकते हैं। अगर वे FIR लिखने से मना करते हैं तो उन्हें 6 से 1 साल तक की जेल हो सकती है।

Rule 3 -

2- शारीरिक संबंध बनाना- कोई भी व्यक्ति किसी अविवाहित लड़की या विधवा महिला से उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। यह व्यवस्था आईपीसी की धारा 498 के तहत है।

3- ड्राइविंग करते समय गिरफ्तारी-  ड्राइविंग करते वक़्त अगर आपके 100 ml खून में 30 mg से ज़्यादा अल्कोहल पाया जाता है तो पुलिस बिना वारंट के आपको गिरफ़्तार कर सकती है। यह प्रावधान मोटर वाहन एक्ट, 1988, सेक्शन- 185, 202 के तहत किया गया है।

Rule 1 -

4- महिला की गिरफ्तारी- इस अधिकार की जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। किसी भी स्त्री को शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। यह व्यवस्था सीआरपीसी की धारा 46 के तहत की गई है।

Rule 6 -

5- होटल में फ्री पानी– कोई भी होटल हो चाहे 5 स्टार या उससे निचले दर्जे के, आपको फ्री में पानी पीने और वॉशरूम का इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता है। यह भारतीय सरिउस अधिनियम 1887 कहता है।

6-लिव इन में रहना-  अगर दो वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्ज़ी से लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। अगर इन दोनों के संबंध से कोई संतान हो जाए तो वो भी ग़ैर-क़ानूनी नहीं है। इतना ही नहीं संतान के पैदा हो जाने पर उसे पिता की संपत्ति में हक भी मिलेगा। यह प्रावधान घेरलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत की गई है।

Rule 4 -

7- पुलिस अधिकारी हमेशा ड्यूटी पर– भारतीय पुलिस में एक पुलिस अधिकारी हमेशा ड्यूटी पर होता है चाहे उसने पुलिस की वर्दी पहनी हो या नहीं। अगर कोई व्यक्ति उस अधिकारी से कोई शिकायत करता है तो वह पुलिस अधिकारी यह नहीं कह सकता कि वह ड्यूटी पर नहीं है और आपकी मदद नहीं कर सकता। ऐसा पुलिस एक्ट, 1861 में कहा गया है।

8- गर्भवती महिला- कोई भी कंपनी, चाहे कितनी भी बड़ी हो वह गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती। ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल तक की सज़ा हो सकती है। यह प्रावधान मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत बनाया गया है।

9-टैक्स उल्लंघन में गिरफ्तारी-  टैक्स उल्लंघन के मामले में, कर वसूली अधिकारी के पास आपको गिरफ्तार करने का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी से पहले उसे आपको नोटिस भेजना होता है। सिर्फ़ टैक्स कमिश्नर के पास यह फैसला करने का अधिकार है कि आपको कितनी देर तक हिरासत में रखना है।

10- तलाक देना-  हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत कोई भी पति या पत्नी तलाक के लिए कोर्ट में अर्ज़ी दे सकता है। हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा -13 के मुताबिक़, व्यभिचार, शादी के बाहर शारीरिक संबंध बनाना, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, नपुंसकता, बिन बताए छोड़कर जाना, हिन्दू धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाना, पागलपन लाइलाज बीमारी, सात साल तक कोई अता-पता न होने पर तलाक की याचिका दायर की जा सकती है।

11- पुलिस बाइक से चाबी नहीं निकाल सकती- ट्रैफिक पुलिस अधिकारी आपकी बाइक या गाड़ी से चाबी नहीं निकाल सकता है। अगर वह ऐसा करे तो उस कांस्टेबल/अधिकारी के ख़िलाफ़ आप क़ानूनी कार्यवाही भी कर सकते हैं। दरअसल, मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 ये कहती है कि वाहन चालकों को हेलमेट लगाना चाहिए। वहीं, धारा 128 ये कहती है कि बाइक पर सिर्फ दो व्यक्तियों को बैठने का अधिकार है।

Rule 5 -

12- महिला पुलिस- एक महिला पुलिस अधिकारी ही महिलाओं को गिरफ्तार कर सकती है। पुरूष पुलिस अधिकारियों को महिलाओं को गिरफ़्तार करने का अधिकार नहीं है। वहीं, महिलाओं को शाम के 6 बजे के बाद और सुबह के 6 बजे से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। किसी भी गंभीर अपराध के मामले में पुरूष पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट से लिखित आदेश प्राप्त होने पर ही किसी महिला को गिरफ्तार कर सकता है।

Rule 2 -

13- गैस सिलेंडर फट जाने पर सहायता- अगर आपका गैस सिलेंडर किसी कारण वश फट जाता है तो आप गैस कंपनी से जान व माल की भारपाई के 40 लाख रूपये तक सहायता पा सकते हैं।

14- सार्वजनिक जगहों अश्लील पर हरकत करना- आईपीसी की धारा 294 के मुताबिक़, अगर आप सार्वजनिक जगहों पर अश्लील हरक़त करते हुए पाए जाते हैं तो आपको तीन महीने की जेल हो सकती है, लेकिन अश्लील गतिविधि की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं होने के कारण कई दफ़ा पुलिस इसका दुरुपयोग करती है।

15- चालान कटने पर- अगर किसी दिन आपका चालान हेलमेट न होने या कागज़ात न होने पर काट दिया जाता है तो फिर उसी अपराध के लिए आपका चालान नहीं काटा जा सकता।  यह व्यवस्था मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 के तहत की गई है।

16- एमआरपी मूल्य- कोई भी दुकानदार किसी भी उत्पाद पर दी एमआरपी से ज़्यादा क़ीमत वसूल नहीं कर सकता है। मगर उत्पाद को कम कीमत पर ख़रीदने के लिए उपभोक्ता दुकानदार से मोल-भाव कर सकता है। यह अधिकतम खुदरा मूल्य अधिनियम, 2014 में बताया गया है।

17- गिफ्ट लेना रिश्वत- इस बात सुनकर आपको हैरानी होगी कि किसी त्योहार के मौके पर अगर आप किसी कंपनी से गिफ्ट लेते हैं तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध के लिए आपको सज़ा भी हो सकती है। यह प्रावधान एफआरसीए, 2010 के क़ानून के तहत किया गया है।

Rule 7 -

18- सैलरी न देने पर रिपोर्ट दर्ज कराना- अगर कोई कंपनी या ऑफिस आपको सैलरी नहीं देती है तो आप उसके ख़िलाफ तीन साल के भीतर कभी भी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। मगर तीन साल के बाद रिपोर्ट दर्ज कराने से कोई फायदा नहीं होगा। यह प्रावधान परिसीमा अधिनियम, 1963 के तहत किया गया है।

19- बच्चा को गोद लेना- अगर आप हिन्दू परिवार से संबंध रखते हैं और आपके घर में आपका बेटा, पोता या परपोता है तो क़ानूनी रूप से आप किसी दूसरे बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं। इसके अलावा गोद लेने वाले व्यक्ति की उम्र गोद लिए जाने वाले बच्चे से 21 साल बड़ी होनी चाहिए। यह व्यवस्था हिन्दू गोद लेना और रखरखाव अधिनियम, 1956 के तहत है।

20- किराए के मकान में रहने पर- अगर आप देश की राजधानी दिल्ली में किराए पर रहते हैं तो आपका मकान मालिक आपको बिना नोटिस दिए ज़बर्दस्ती मकान ख़ाली नहीं करा सकता है। यह नियम दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 की धारा 14 में दिया गया है।

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