Group Captain Varun Singh Death: मुझे तो पता तक नहीं था सीडीएस रावत के साथ हेलिकॉप्टर में मेरा बेटा भी था… देश के लिए बेटा कुर्बान करने वाले पिता का दुख

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Group Captain Varun Singh Death: मुझे तो पता तक नहीं था सीडीएस रावत के साथ हेलिकॉप्टर में मेरा बेटा भी था… देश के लिए बेटा कुर्बान करने वाले पिता का दुख

Group Captain Varun Singh Death: मुझे तो पता तक नहीं था सीडीएस रावत के साथ हेलिकॉप्टर में मेरा बेटा भी था… देश के लिए बेटा कुर्बान करने वाले पिता का दुख

भोपाल
वायु सेना के शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) के पिता का कहना है कि मौका मिला तो वे अपने परिवार की अगली पीढ़ी को भी सेना में जाने की खुशी-खुशी अनुमति देंगे। वरुण सिंह 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में शामिल थे। सात दिन तक इलाज के बाद बुधवार को उनकी मौत (Group Captain Varun Singh Death News) हो गई थी। उनका पार्थिव शरीर गुरुवार को भोपाल पहुंचा तो पिता केपी सिंह ने एनबीटी ऑनलाइन से खास बातचीत (Group Captain Varun Singh Father Interview) की।

इस दुर्घटना में 13 लोगों की पहले ही मौत हो चुकी थी जिनमें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत आर उनकी पत्नी मधुलिका भी शामिल थे। वरुण सिंह अकेले जिंदा बचे थे लेकिन बुरी तरह घायल हो गए थे। सात दिन तक जीवन और मौत से संघर्ष के बाद बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली थी।

सेना से रिटायर कर्नल केपी सिंह ने बताया कि उन्हें तो पता तक नहीं था कि जनरल रावत के साथ उनके बेटे भी उस हेलिकॉप्टर में सवार थे। जब ये हादसा हुआ, तब वे मुंबई में थे। उन्हें एक पत्रकार ने जब फोन किया तो उन्हें वरुण के बारे में पता चला। तब वे इसके बारे में पता करने लगे। मामला देश के सीडीएस का था, इसलिए भी उनकी जिज्ञासा बढ़ गई थी, लेकिन कहीं से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही थी। थोड़ी देर बाद जब शहीद वरुण सिंह की पत्नी ने उन्हें फोन किया, तब जाकर उन्हें पूरी जानकारी मिल पाई।

पिता ने बताया कि हादसे में वरुण बुरी तरह जल गए थे। फिर भी उन्होंने अपनी पत्नी क फोन नंबर वहां पहुंचे लोगों को दिया। साथ ही यह भी कहा कि पत्नी को फोन कर बता दें कि वे ठीक हैं। इसके बाद वे बेटे को लेकर काफी हद तक आश्वस्त हो गए थे, लेकिन दुर्घटना में वे 95 प्रतिशत तक जल गए थे और तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

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वरुण के बारे में उन्होंने बताया कि वे एक आदर्श बेटा, पति और पिता होने के साथ आदर्श सैनिक भी थे। पिछले साल 12 अक्टूबर को हुई घटना को भी उन्होंने याद किया जब वरुण ने तेजस की सेफ लैंडिंग कराई थी। इसके लिए उन्हें इस साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। पिता ने कहा कि इस तरह के हादसों में पायलट आम तौर पर बेल आउट यानी अपनी सुरक्षा का विकल्प अपनाते हैं। वरुण ने अपनी जान जोखिम में डालकर सेफ लैंडिंग कराई जिससे तेजस का अपग्रेड कार्यक्र आगे बढ़ सका।

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पिता ने कहा कि बेटे की मौत का सदमा तो लगा है, लेकिन गर्व का अहसास भी है। उसने अपनी जान देश के लिए दे दी। मौत से उनके पूरे परिवार को झटका लगा है। वरुण की पत्नी के लिए अब जीवन कभी सामान्य नहीं होगा, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि समय बीतने के साथ वे अपने दुख पर पार पा लेंगे। रिटायर कर्नल ने बताया कि उनके दो बेटे ही थे, कोई बेटी नहीं थी। अब उनकी बहू ही उनकी बेटी है।

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ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के छोटे भाई भी सेना में हैं। वे नेवी में कमांडर के पद पर हैं। वरुण की मौत के बाद परिवार की अगली पीढ़ी को सेना में जाने की अनुमति देने के बारे में पूछे जाने पर पिता ने कहा कि उन्हें इसके लिए सोचना भी नहीं पड़ेगा। वे खुशी-खुशी इसके लिए राजी हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि उनके बेटे की मौत लड़ाई के मैदान में हुई होती, तब भी उनके फैसले में कोई बदलाव नहीं आता।

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