Air Pollution: एनसीआर की प्रदूषित आबोहवा बच्चों से बड़ों तक को कर रही बीमार, ओपीडी में बढ़ी बीमार बच्चों की संख्या

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Air Pollution: एनसीआर की प्रदूषित आबोहवा बच्चों से बड़ों तक को कर रही बीमार, ओपीडी में बढ़ी बीमार बच्चों की संख्या

Air Pollution: पूरा एनसीआर और पश्चिमी यूपी इस समय स्मॉग की चपेट में है। प्रदूषण के चलते मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, राजधानी दिल्ली, गुरुग्राम के अलावा अन्य जिलों में इन दिनों बच्चों से लेकर बड़ों तक के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। हालात ये हैं कि अस्पताल की ओपीडी में बच्चों और बड़े मरीजों की संख्या में 25 प्रतिशत इजाफा हो गया है।

Air Pollution: एनसीआर की हवा का लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। इस प्रदूषण का उन बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है जो कि पहले से बीमार हैं, अस्थमा से पीड़ित हैं। उनमें अस्थमा अटैक का खतरा अधिक बढ़ गया है। इस प्रदूषण की वजह से बच्चों को एलर्जी हो रही है, कोल्ड कफ हो रहा है। इरिटेशन और निमोनिया भी परेशान कर रहा है। अस्पतालों की ओपीडी में पिछले कुछ दिनों में 25 से 30 प्रतिशत बच्चों में प्रदूषण से होने वाली परेशानी के मामले सामने आ रहे हैं। परेशानी इतनी बढ़ गई है कि कुछ को भर्ती भी करना पडा है।

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फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. राहुल भार्गव का कहना है कि प्रदूषण के कण बच्चों को बीमार कर रहे हैं। लंग्स में इरिटेशन, सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जो बच्चे पहले से बीमार हैं और जिन्हें अस्थमा है, उन्हें ज्यादा दिक्कत हो रही है। उन्हें पहले से ज्यादा अस्थमा का अटैक हो रहा है। निमोनिया हो रहा है, इम्यूनिटी कमजोर हो रही है। डॉ. राहुल भार्गव बताते हैं कि ओपीडी में 25 प्रतिशत बच्चे एलर्जी, दमा, सांस में दिक्कत की वजह से आ रहे हैं।

पिछले साल लॉकडाउन के चलते सुधरे हुए थे हालात

डॉ. राहुल बताते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के चलते हालात काफी अच्छे थे। प्रदूषण का स्तर इतना नहीं था। जो बच्चे अस्थमा से ग्रसित हैं, उन्हें पिछले साल इतनी दिक्कत नहीं हुई थी। लेकिन इस बार बच्चे घर से बाहर भी निकल रहे हैं और बाजार भी जा रहे हैं। जिसकी वजह से उन पर प्रदूषण का असर देखा जा रहा है। डॉक्टर ने कहा कि अब स्कूल खुल रहे हैं, आने वाले दिनों में इसका और असर देखा जा सकता है।

प्रदूषण के कारण इन बीमारियों से हो रहे बच्चे परेशान

फेफड़ों में इरिटेशन, एलर्जी, सांस लेने में दिक्कत और सांस लेने की क्षमता कम होना, अस्थमा का अटैक बढ़ना, कफ का होना, सिर में दर्द, नाक का बंद होना, थोड़ा सा खेलकूद पर सांस फूलने की परेशानी, अक्यूट अस्थमा अटैक, रेस्पिरेट्री इन्फेक्शन, इसका असर बच्चे के विकास पर असर हो सकता है।

BY: KP Tripathi

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