हार्ट अटैक आया तो 80 साल की बुजुर्ग को तय करना पड़ा 130 KM का सफर, 13 दिन से हड़ताल का ऐसा है असर
13 दिन से राजस्थान में हड़ताल
राजस्थान के निजी अस्पतालों में शुक्रवार को 13वें दिन भी स्वास्थ्य सेवाएं बंद है। सरकार की ओर से संचालित अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र पर इसके चलते अतिरिक्त रोगी भार पड़ गया है। गवर्नमेंट हॉस्पिटल बोझ से दबे हुए है। वहीं इमरजेंसी मामलों से जूझ रहे हॉस्पिटल्स की परेशानी उन रेजिडेंट डॉक्टर्स ने भी बढ़ा दी है कि निजी अस्पतालों के समर्थन में चले गए हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स का एक धड़ा प्राइवेंट डॉक्टर्स के हड़ताल पर चला गया हैं।
राजस्थान में स्ट्रेचर पर आई स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के वैकल्पिक सर्जरी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है। केवल आपातकालीन और ओपीडी सेवाएं उपलब्ध हैं । कई रोगियों को प्राथमिक चिकित्सा के बाद या दवाओं के नुस्खे के साथ उनकी शिकायतों का फिलहाल इलाज करने के लिए घर भेजा जा रहा है। मामूली इलाज के लिए मरीज केमिस्ट की सलाह ले रहे हैं। कई पैशेंट्स घरेलू नुस्खे अपना रहे हैं। हाथ की सर्जरी के लिए झुंझुनू से जयपुर आए मोहम्मद साजिद ने कहा, ‘डॉक्टर ने मुझे भर्ती करने से इनकार कर दिया और स्थिति हड़ताल खत्म होने के बाद वापस आने को कहा है।
दूसरे राज्यों में जा रहे हैं मरीज
राज्य के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्र जयपुर के एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने कहना है कि ‘हड़ताल के कारण अन्य राज्यों के मरीजों ने फिलहाल राजस्थान आना बंद कर दिया है।’ राजस्थान अपने अपेक्षाकृत बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में रोगियों को आकर्षित करता है।
इधर, निजी अस्पतालों के समर्थन में, मेडिकल कॉलेजों से जुड़े सरकारी अस्पतालों के 1,800 रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल में शामिल हो गए हैं। हालांकि, जिला और उप-जिला अस्पताल, सैटेलाइट अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग अप्रभावित रहे हैं। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने दोहराया है कि आम आदमी के लाभ के लिए विधेयक पारित किया गया था । इसे किसी भी कीमत पर लागू किया जाएगा।
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