अनंत सिंह की कथा अनंता! जब पत्रकार को कमरे में बंद कर जमकर धुना, सवाल पूछने पर घूम गया था बाहुबली का माथा

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अनंत सिंह की कथा अनंता! जब पत्रकार को कमरे में बंद कर जमकर धुना, सवाल पूछने पर घूम गया था बाहुबली का माथा

अनंत सिंह की कथा अनंता! जब पत्रकार को कमरे में बंद कर जमकर धुना, सवाल पूछने पर घूम गया था बाहुबली का माथा

पटना: अपराध की दुनिया हो या सियासत की, छोटे सरकार नाम ही काफी है। छोटे सरकार मतलब मोकामा के पूर्व विधायक बाहुबली अनंत सिंह। अनंत सिंह ( Anant Singh ) के खौफ और रसूख के किस्से पूरे बिहार में सुनने को मिलते रहते हैं। अनंत सिंह जेल में रहें या बाहर, मोकामा में एक ही नाम है अनंत सिंह। मोकामा की सियासत आज भी अनंत सिंह के इर्द-गिर्द ही होती है। अगर इस इलाके में कोई आपराधिक वारदात हो, तब भी अनंत सिंह। पुलिस हों या पत्रकार, अनंत सिंह के निशाने पर सभी रहे हैं।

साल 2007 में एक महिला से दुष्कर्म और हत्या के केस में अनंत सिंह का नाम सामने आया था। जब इसके बारे में एक निजी चैनल के पत्रकार उनका पक्ष जानने पहुंचा तो सत्ता के नशे में चूर मोकामा विधायक और उनके गुंडों ने पत्रकार की पिटाई कर दी। 5 घंटे तक बंधक बनाकर रखा। कहा तो ये भी जाता है कि कैमरा भी छीन लिया गया था। बाद में इस मुद्दे पर जमकर बवाल हुआ। पटना में सियासत हुई। इस मामले अनंत सिंह ने 6 साल बाद कोर्ट में सरेंडर किया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। दरअसल, नवंबर 2007 में पत्रकार की पिटाई के मामले में सचिवालय थाना में मामला दर्ज कराया था। इस मामले में पत्रकार ने मोकामा विधायक अनंत सिंह के साथ-साथ विपिन सिंह, अमित कुमार, शिवशंकर, अमित कुमार, मुकेश सिंह और संजय कुमार को आरोपित बनाया था।

जब पुलिस और अनंत समर्थकों में हुई गोलीबारी
इससे पहले 2004 में अनंत सिंह के मोकामा स्थित पर जब बिहार पुलिस की एसटीएफ छापेमारी करने गई थी, तब दोनों तरफ से घंटों गोलीबारी हुई थी। बताया जाता है कि उस वक्त अनंत सिंह अपने घर में कई समर्थकों को शरण दे रखी थी, जिनकी तलाश एसटीएफ कर रही थी। इस घटना के बाद अनंत सिंह सुर्खियों में आ गए। हर जगह उनकी चर्चा होने लगी। इस गोलीबारी एक पुलिसकर्मी समेत कुल आठ लोग मारे गए थे। कहा तो ये भी जाता है कि इस घटना में अनंत सिंह को भी गोली लगी थी। हालांकि वे मौके से फरार हो गए।

… और शुरू हुई छोटे सरकार की सियासत
अपराध की दुनिया का बादशाह बनने के बाद अनंत सिंह सियासी गलियारों में भी अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी। इसी दौरान अनंत सिंह की मुलाकात नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) से हुई। कहा जाता है कि दोनों की दोस्ती की नींव साल 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान पड़ी थी। उस वक्त नीतीश कुमार बाढ़ संसदीय क्षेत्र सांसद थे और अटल सरकार में रेलमंत्री। नीतीश के खिलाफ आरजेडी-एलजेपी ने बाहुबली सूरजभान सिंह को चुनावी मैदान में उतारा थे। कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव अनंत सिंह ने खूब मदद की थी। इसके अलावा एक जनसभा के दौरान अनंत सिंह नीतीश को चांदी के सिक्कों से तौला था। इसके बाद से ही अनंत सिंह नीतीश कुमार के करीबी बन गए और पूरे बिहार में तूती बोलने लगी।

2005 में जेडीयू के टिकट चुनाव जीत पहुंचे विधानसभा
नीतीश कुमार से दोस्ती होने के बाद अनंत सिंह की सियासी गलियारों में पैठ हो गई। साल 2005 विधानसभा चुनाव जेडीयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंच गए। 2010 में भी जेडीयू के टिकट पर मोकामा से विधायक चुने गए। हालांकि साल 2015 में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन होने के कारण नीतीश कुमार ने अनंत सिंह का टिकट काट दिया। अनंत सिंह निर्दलीय चुनाव में उतरे और जीत हासिल की।

अनंत सिंह के बुरे दिन की हुई शुरुआत
कहा जाता है कि कि भले ही साल 2015 में अनंत सिंह विधायक बन गए, लेकिन बुरे दिन की शुरुआत भी 2015 से ही हुई। कहा जाता है कि साल 2015 में बाढ़ बाजार इलाके में अनंत सिंह की करीबी किसी महिला से छेड़खानी हुई थी। छेड़खानी का आरोप चार लड़कों पर लगा था। आरोप था कि अनंत सिंह के समर्थकों ने उन लड़कों को सरे बाजार से उठा लिया। बाद में जब पुलिस लड़कों की तलाश में उनके गांव पहुंची, तबतक पिटाई के कारण उनमें से तीन की हालत गंभीर हो गई थी। जबकि एक युवक की दर्दनाक तरीके से हत्या कर दी गई थी। उसका शव पास के जंगल से बरामद किया था। इस मामले में पुलिस अनंत सिंह के कई समर्थकों को भी हिरासत में लिया था।

इस घटना की गूंज पटना से दिल्ली तक सुनाई दी। सियासी दलों ने पूरे घटना को जातीय रंग दे दिया। कहा तो ये भी जाता है कि इस घटना में अनंत सिंह की संलिप्तता के कई सबूत पुलिस को मिले थे, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण उनकी गिरफ्तारी को लगातार टाला जाता रहा। हालांकि 24 जून 2015 को आखिरकार पुलिस ने अनंत सिंह को पटना स्थित सरकारी आवास से गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि अनंत सिंह की गिरफ्तारी इतनी आसान नहीं थी।

राजधानी पटना के तत्कालीन एसएसपी जितेंद्र राणा अनंत सिंह को गिरफ्तार करने का मन बना चुके थे। इसी दौरान सरकार ने उनका तबादला कर दिया। कहा जाता है कि तबादले की भनक लगते ही एसएसपी जितेन्द्र राणा ने प्रेस कांफ्रेस कर इस केस से जुड़े सारे तथ्य सबके सामने रख दिए। जितेन्द्र राणा की जगह एसएसपी विकास वैभव चार्ज संभालते ही अनंत सिंह के घर सर्च वारंट लेकर पहुंचे और उन्हें गिरफ्तार कर लिए।

एके 47 मामले में गई विधायकी
बाढ़ में 16 अगस्त 2019 को पुलिस ने अनंत सिंह के पैतृक घर में छापा मारा तब घर से एक एके 47 राइफल, दो हैंड ग्रेनेड साथ ही मैगजीन में भरे हुए 26 जिंदा कारतूस कब्जे में लिया गया। इस केस में अनंत के खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया। इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट में अनंत सिंह को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। अनंत सिंह करीब 3 साल से पटना के बेऊर जेल में बंद हैं। 10 सालों की सजा सुनाए जाने के बाद अनंत सिंह की विधायकी भी चली गई।

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