sidhi: छ: दिन से चल रहा बारिश का दौर, खेती-किसानी में जुटे किसान | sidhi: It is raining for six days, farmers engaged in farming | Patrika News

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sidhi: छ: दिन से चल रहा बारिश का दौर, खेती-किसानी में जुटे किसान | sidhi: It is raining for six days, farmers engaged in farming | Patrika News


sidhi: छ: दिन से चल रहा बारिश का दौर, खेती-किसानी में जुटे किसान | sidhi: It is raining for six days, farmers engaged in farming | Patrika News

सतनाPublished: Jun 29, 2023 09:26:37 pm

किसान धान का रोपा लगाने खेत तैयार कर डाल रहे बीज, समितियों में नहीं पहुंचा पर्याप्त बीज, निजी दुकानों से महंगे दाम पर बीज खरीदने को मजबूर किसान, खाद का पर्याप्त भंडारण, इस सीजन नही बनेगी भटकाव की स्थिति

sidhi: It is raining for six days, farmers engaged in farming

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सीधी। जिले में मानसून की दस्तक के साथ ही पिछले पांच दिनों से लगातार जारी बारिश के दौर के बाद किसानों की ङ्क्षचता समाप्त हो गई है। किसान खरीफ सीजन की बुवाई के लिए खेत तैयार करने में जुट गए हैं। सबसे पहले धान का रोपा लगाने के लिए बीज बोने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए खेतों की जुताई की जा रही है। इधर खरीफ सीजन को लेकर कृषि विभाग की ओर से कुछ खास तैयारी नहीं दिख रही है। समितियों में न तो धान के बीजों की पर्याप्त उपलब्धता अब तक हो पाई है और न ही धान के उन्नत किस्म के बीज ही उपलब्ध हैं। ऐसे में किसान धान के उन्नत किस्म का बीज लेने के लिए निजी दुकानों पर निर्भर हैं। जहां किसानों को महंगे दाम पर धान के बीज खरीदने की मजबूरी बनी हुई है।
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मांग 12 हजार क्विंटल से अधिक, उपलब्धता 3778 क्विंटल-
जिले के बीज निगम सहित सहकारी संस्थाओं में धान सहित अन्य खरीफ फसलों के बीजों की उपलब्धता मांग के अनुरूप काफी कम है। विभाग भी बीज को लेकर निजी विक्रेताओं पर ही निर्भर है। विभागीय आंकड़े के अनुसार इस खरीफ के सीजन में धान सहित अन्य फसलों के बीजों की मांग करीब 12 हजार 251 क्विंटल है। जबकि इसके विरूद्ध बीज निगम व सहकारी संस्थाओं में उपलब्धता करीब 3778 टन ही है। जबकि निजी विक्रेताओं के यहां 9 हजार 58 क्विंटल बीजों की उपलब्धता बताई गई है। लेकिन निजी विक्रेताओं के यहां बीज के दाम महंगे होने से किसानों की पहली प्राथमिकता सरकारी संस्थाओं से बीज लेने की रहती है, जब वहां से बीज नहीं मिल पाता या फिर उन्नतशील किस्म नहीं मिलती तब वह निजी विक्रेताओं की ओर दौड़ लगाना शुरू करते हैं।
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खाद के लिए नहीं पड़ेगा भटकना-
खरीफ के इस सीजन में किसानों को खाद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। खरीफ सीजन शुरू होने से पहले ही विभाग द्वारा पर्याप्त खाद का भंडारण करा लिया गया है। किसानों को नकद व परमिट दोनो व्यवस्था के तहत खाद उपलब्ध कराई जा रही है। विभागीय आंकड़े के अनुसार विपणन संघ, समितियों के साथ ही निजी विक्रेताओं के पास भी खाद का पर्याप्त भंडारण है। विपणन संघ में 4358.125 मेट्रिक टन, समितियों में 2113.885 मेट्रिक टन तथा निजी विक्रेताओं के यहां 1380.885 मेट्रिक टन उर्वरक भंडारण है। इसमें यूरिया, डीएपी, एनपीके तथा एसएसपी उर्वरक शामिल है।
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जिले में विगत दिनों हुई औसत वर्षा का आंकड़ा-
दिनांक – औसत वर्षा (मिमी में)
24 जून – 8.0
25 जून – 32.8
26 जून – 5.0
27 जून – 2.8
28 जून – 18.1
29 जून – 30.4
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बीज की उपलब्धता पर एक नजर-
फसल – मांग – शासकीय – निजी विक्रेता – कुल
धान – 9800 – 2500 – 7500 – 10,000
मक्का – 550 – 150 – 400 – 550
कोदो कुटकी – 80 – 60 – 60 – 120
ज्वार – 410 – 200 – 250 – 450
अरहर – 430 – 212 – 318 – 530
उड़द – 285 – 150 – 170 – 320
मूंग – 480 – 340 – 310 – 650
तिल – 80 – 30 – 50 – 80
सोयाबीन – 96 – 96 – 00 – 96
रागी – 40 – 40 – 00 – 40
कुल – 12,251 – 3778 – 9058 – 12,836
नोट: मात्रा क्विंटल में।
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………..खरीफ सीजन के लिए बीज का भंडारण करा लिया गया है। कई पंजीकृत समितियां भी बीज का विक्रय करती हैं। लेकिन किसान हाइब्रिड बीज के लिए निजी दुकानों की ओर ही रूख करते हैं, जिसकी उपलब्धता निजी दुकानों में हैं। वहीं उर्वरक का पर्याप्त मात्रा में भंडारण कराया जा चुका है। किसान आदान सामग्री लेते समय विक्रेता से पक्की बिल जरूर प्राप्त करें, बिल न देने पर कृषि विभाग में शिकायत करें।
संजय श्रीवास्तव, उपसंचालक कृषि
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किसानों ने कहा-
……..बीज निगम व सहकारी समितियों में धान के उन्नतशील बीज की किस्मों का अभाव रहता है, जिससे निजी दुकानों पर निर्भर होना पड़ता है। निजी दुकानों में मनमानी दर पर बीज विक्रय किया जाता है, निजी विक्रेताओं के मनमानी दर पर लगाम लगाना चाहिए।
दिनेश ङ्क्षसह, किसान धनहा
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……..कृषि विभाग द्वारा किसानों के लिए नि:शुल्क बीज वितरण की योजनाएं बंद हो चुकी हैं। अनुदान पर जो बीज मिलता भी है उसमें उत्पादन काफी कम होता है। इससे छोटे व मध्यम किसानों को परेशानी हो रही है। बीज की पर्याप्त उपलब्धता भी नहीं रहती।
शीवेंद्र सिंह, किसान कठार
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