भगवान नरसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं. इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है. साथ ही हर प्रकार के मुक़दमे, शत्रु और विरोधी शांत होते हैं. तंत्र – मंत्र की बाधाएं भी समाप्त होती हैं. अगर बात की जाए वास्तु के माध्यम से तो भगवन नरसिंह की मूर्ति घर के मुख्य द्वार पर नहीं लगानी चाहिए।
भवन का मुख्यद्वार यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो दरवाजे के ऊपर, बाहर व भीतरी हिस्से में गणेश जी की छोटी सी प्रतिमा लगानी चाहिए। इससे घर का दक्षिणमुखी दोष का शमन होता है। वहीं अगर भवन में प्रवेश करने से यदि आपको किसी अनजानी नकारात्मकता का एहसास हो तो घर के भीतर मुख्य द्वार की ओर देखती हुई भगवान गणेश की नौ इंच की लगाएं जिससे नकारात्मक उर्जा समाप्त हो जाएगी।
कैसे करें भगवान नृसिंह की पूजा?
- प्रातःकाल उठकर घर की साफ़ सफाई करें. घर को साफ़ सुथरा बनाएं.
- दोपहर के समय तिल, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें.
- भगवान नृसिंह के चित्र के सामने दीपक जलाएं.
- उन्हें प्रसाद और लाल फूल अर्पित करें.
- इसके बाद अपनी मनोकामना कहकर भगवान नृसिंह के मन्त्रों का जाप करें.
- भगवान के मन्त्रों का जाप मध्य रात्रि में भी करना उत्तम होगा.
- व्रत के दिन जलाहार या फलाहार करना उत्तम होगा.
- अगले दिन निर्धनों को अन्न-वस्त्र का दान करकर व्रत का समापन करें.
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