SCO Summit 2022: पीएम मोदी आज जाएंगे उज्बेकिस्तान, दो साल के लिए भारत बनेगा अध्यक्ष, जानें SCO के बारे में सबकुछ | SCO 22th Summit 2022: PM Modi will visit Uzbekistan today | Patrika News

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SCO Summit 2022: पीएम मोदी आज जाएंगे उज्बेकिस्तान, दो साल के लिए भारत बनेगा अध्यक्ष, जानें SCO के बारे में सबकुछ | SCO 22th Summit 2022: PM Modi will visit Uzbekistan today | Patrika News

SCO Summit 2022: पीएम मोदी आज जाएंगे उज्बेकिस्तान, दो साल के लिए भारत बनेगा अध्यक्ष, जानें SCO के बारे में सबकुछ | SCO 22th Summit 2022: PM Modi will visit Uzbekistan today | Patrika News

भारत बनेगा अध्यक्ष सम्मेलन के दौरान नेताओं के पिछले दो दशकों में समूह की गतिविधियों की समीक्षा करने और बहुपक्षीय सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री 14 सितंबर को समरकंद पहुंचेंगे और दो दिवसीय शिखर बैठक में शामिल होकर 16 सितंबर को भारत (India) वापस लौटेंगे। शिखर सम्मेलन 15-16 सितंबर को होगा। इससे पहले जून 2019 में कर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ सम्मेलन किया गया था। शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिखर सम्मेलन के अंत में SCO की रोटेशनल प्रेसीडेंसी ग्रहण करेगा।

SCO समरकंद शिखर सम्मेलन का एजेंडा

इस शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हो रहे है। इस बैठक में आतंकवाद, रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक मुद्दों सहित सामरिक साझेदारी पर चर्चा की जाएगी। इसके इतर सदस्य देशों की द्विपक्षीय वार्ता भी आयोजित की जाएगी।
भारत वर्ष 2023 के लिए समूह की अध्यक्षता भी ग्रहण करेगा, जो SCO की अगली बैठक सितंबर 2023 तक बना रहेगा।

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठक भारत इस शिखर सम्मलेन में सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेगा, जो वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में अति महत्वपूर्ण हो जाती है।

  • चीन के साथ वार्ता पर पूरी दुनिया की नजर : भारत हाल के सीमा विवादों के मद्देनजर चीन के साथ अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेगा। यह भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति के साथ, नवंबर 2019 के बाद पहली बैठक होगी।उनकी द्विपक्षीय बैठक नवंबर 2019 में ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।
  • रूस के साथ वार्ता: इसके अतिरिक्त भारत रूस के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेगा, और दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय रिश्तों को एक नया आयाम देने की भी प्रयास करेगा। गौरतलब है कि भारत रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से सस्ते कीमत पर कच्चे तेल का आयात कर रहा है।

बैठक से पहले भारत को मिले सकारात्मक संकेत

एससीओ समिट से पहले चीन और भारत में बातचीत के कुछ सकारात्मक संकेत मिले हैं। बातचीत से पहले तनाव कम करने के लिए दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया में पेट्रोलिंग प्वाइंट15 (PP-15) से सेनाएं हटा ली हैं लेकिन डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध का कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

बता दें, चीन और भारत दोनों देशों के बीच यह सीमा विवाद गलवान घाटी, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (PP-15), डेमचोक और देपसांग तक गहराया हुआ है। अभी नए घटनाक्रम के तहत भारत, चीन के बीच 16वें दौर की बातचीत के बाद सोमवार को पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया में पेट्रोलिंग प्वाइंट15 (PP-15) से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं हैं। इस घटनाक्रम के जानकार लोगों का कहना है कि दोनों पक्षों ने तय योजना के अनुरूप ही सेनाएं हटाई हैं और इस प्रक्रिया का पूरा वेरिफिकेशन किया गया है लेकिन इसकी वेरिफिकेश प्रक्रिया का ब्योरा अभी मिलना बाकी है।

दो सबसे बड़े दुश्मन देशों से मुलाकात के पहले भारत में मूड अपबीट, चीन में बढ़ रही हैं मुश्किलें SCO समिट से पहले भारत का जोश हाई, लेकिन इन 4 वजहों से ढीले हैं जिनपिंग के तेवरउ ज्बेकिस्तान के समरकंद में 14 से 16 सितंबर तक SCO समिट होने जा रहा है। इसमें भारत के पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात होगी या नहीं यह अभी तय नहीं है, लेकिन संभव है कि कुछ द्वपक्षीय मीटिंग हों। लेकिन यह साफ है कि समिट से पहले भारत का जोश हाई है वहीं चीन कई परेशानियों से घिरा हुआ है। इसके पहले करीब 34 महीने पहले पीएम मोदी और राष्ट्रपति चिनपिंग की मुलाकात हुई थी।

क्या चीन हटाएगा एलएसी से सेना पीछे क्या डोकलाम की तरह LAC पर भी चीन के पीछे हटने का टाइम आ गया है? आने वाले कुछ दिनों में इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी। अमरीका का करीबी सहयोगी होने के बावजूद भारत के प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के दो सबसे बड़े दुश्मनों के साथ दो दिनों तक मौजूद रहेंगे। ये हिंदुस्तान के आत्मविश्वास दुनिया के मंच पर जोरदार दस्तक है, जिसे चीन को भी मानना होगा। 13 नवंबर 2019, यही वो तारीख थी जब दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के प्रमुखों ने हाथ मिलाया था। दोनों नेताओं का आमना सामना हुआ था। जगह थी ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया । जहां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। लेकिन सवाल ये है कि करीब 34 महीने बाद दोनों नेता क्या एक दूसरे से मिलेंगे? अगर दोनों की मुलाकात हुई भी तो क्या इस तरह की पुरानी गर्मजोशी देखने को मिलेगी? क्यों SCO की बैठक के दौरान शी जिनपिंग के मुकाबले पीएम मोदी का आत्मविश्वास ज्यादा होना तय है।

कोरोना के बाद चीनी राष्ट्रपति की पहली यात्रा चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक संक्षिप्त बयान में बताया कि शी समरकंद शहर में एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 22वीं बैठक में भाग लेंगे और 14 से 16 सितंबर तक कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा करेंगे। शी 14 सितंबर को कजाकिस्तान का दौरा करेंगे, जो जनवरी 2020 के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। शी ने आखिरी बार 17-18 जनवरी, 2020 को म्यांमार का दौरा किया था। म्यांमार से वापसी के कुछ ही दिनों बाद, चीन ने वुहान में कोरोना वायरस के बड़े पैमाने पर प्रकोप की घोषणा की। बाद में यह वैश्विक महामारी में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हुई। तब से, शी (69) चीन से बाहर नहीं गए हैं और डिजिटल तरीके से वैश्विक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे हैं।

एससीओ के इतिहास के बारे में एससीओ एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 15 जून 2001 में शंघाई, चीन में हुई थी। इसमें वर्तमान में 9 सदस्य देश है। जो इस प्रकार है, चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान। भारत, जून 2017 में SCO का पूर्ण सदस्य बना था।

  • संरचना: इसकी संरचना में SCO सचिवालय, क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) शासन प्रमुखों की परिषद आदि शामिल है।
  • पर्यवेक्षक: वर्तमान में इसमे तीन पर्यवेक्षक देश अफगानिस्तान, मंगोलिया और बेलारूस है। जो इस संगठन की पूर्ण सदस्यता में रूचि रखते है।
    डायलॉग पार्टनर्स: SCO के और छह डायलॉग पार्टनर्स आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की है।
    महासचिव: SCO महासचिव को तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। SCO के वर्तमान महासचिव चीन के झांग मिंग हैं, जिन्होंने 1 जनवरी 2022 को अपना पद ग्रहण किया था।
    आधिकारिक भाषा: SCO की आधिकारिक भाषाएँ रूसी और चीनी हैं।



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