सपा नेता सरोजनी अग्रवाल का इस्तीफा

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सपा नेता सरोजनी अग्रवाल का इस्तीफा
सपा नेता सरोजनी अग्रवाल का इस्तीफा

समाजवादी पार्टी यानि सपा पार्टी के लिए एक और बुरी खबर सामने आई है। सपा के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव जहाँ एक तरफ सपा पार्टी को जोड़ने में लगे हुए है, वहीं दूसरी तरफ सपा नेताओं का एक के बाद एक पार्टी को छोड़ के चले जाना, अखिलेश के लिए मुसीबतों का सबब बन सकता है। समाजवादी पार्टी की विधान पार्षद सरोजनी अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सरोजनी अग्रवाल ने न सिर्फ इस्तीफा दिया है, बल्कि उन्होंने बीजेपी का भी दामन थाम लिया है।

जी हाँ, यूपी की राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को सपा पार्टी की विधान परिषद सदस्य सरोजनी अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही इस्तीफा देने के बाद सरोजनी ने बीजेपी का दामन थाम लिया। इस मौके पर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी के साथ ही राज्य मंत्री महेंद्र सिंह की मौजूदगी में डॉ.सरोजिनी अग्रवाल ने मीडिया को संबोधित किया। मीडिया से बातचीत के दौरान सरोजिनी अग्रवाल ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का सार्वजनिक ऐलान भी किया। मेरठ की रहने वाली सपा एमएलसी सरोजनी अग्रवाल ने आज अपना इस्तीफा विधान परिषद के सभापति रमेश यादव को सौंप दिया।

आपको बता दें कि 29 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ पहुंचने से चंद घंटें पहले ही समाजवादी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा था, सपा के एमएलसी और प्रवक्ता बुक्कल नवाब समेत 3 एमएलसी ने विधान परिषद के सभापति रमेश यादव को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। सपा पार्टी अभी इस झटके से ऊबर भी नहीं पाई थी कि सरोजनी अग्रवाल ने एक और झटका दे दिया।खबर तो यह भी है कि सरोजनी अग्रवाल की पुत्री डॉ हिमानी अग्रवाल ने भी सपा युवाजन सभा के सचिव पद से इस्तीफा दे दिया है, हालांकि इस खबर की अभी पुष्टि नहीं की गई है।

आपको बता दें कि सपा पार्टी के इन इस्तीफों से 3 एमएलसी के पद खाली होंगे, इससे सीएम योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव और दिनेश शर्मा एमएलसी के तौर पर सदन में जा सकते हैं। ये तीनों अब तक किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।

सपा पार्टी के इन सदस्यों के इस्तीफे के बाद से जहाँ एक तरफ सपा पार्टी को इससे जोर का झटका लगा है, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के लिए यह खुशियों से भरा हुआ है, क्योंकि सीएम योगी के लिए सदन पहुंचने का रास्ता जो क्लियर हो गया है।

बहरहाल, राजनीति की दुनिया में तो इस्तीफा का प्रकरण चलता ही रहता है, कोई कभी किसी पार्टी को छोड़ देता है, तो कोई किसी पार्टी में शामिल हो जाता है। राजनीति गलियारों में इस्तीफे की बात तो अब आम सी हो गई है।