अमेरिका डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपए में आज भारी गिरावट के साथ शुरुआत हुई हैं। डॉलर का भाव बढ़कर 69.61 आ गया हैं। अब तक का सबसे ज्याद भाव है और रुपए का सबसे निचला स्तर हैं। रुपए में कमजोरी की वजह से देश में आयात होने वाला हर वस्तु या सेवा मंहगी होगी और निर्यात होने वाली हर वस्तु या सेवा के ज्यादा पैसे मिलेंगे
इस वजह से टूटा रुपया
अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी करेंसी डॉलर में लगातार मजबूती देखने को मिली हैं और साथ में घरेलू स्तर पर विदेसी मुद्रा भंडार में भी करीब 8 महीने के निचले स्तर पर आ चुका हैं। इन वजहों से भारतीय करेंसी रुपए पर दबाव देखा जा रहा हैं। डॉलर इंडेक्स ने आज 96.50 के ऊपरी स्तर को छुआ है जो करीब 14 महीने में सबसे ऊपरी स्तर है। इसके अलावा देश के विदेशी मुद्रा भंडार की बात करें तो 3 अगस्त को ख़त्म हफ्ते के दौरान वह घटकर 402.70 अरब डॉलर दर्ज किया गया है जो 15 दिसंबर 2017 के बाद सबसे कम विदेशी मुद्रा है।
विदेशों से आने वाली चीजें हो जाएंदी महंगी
रुपए में आई इस गिरावट की वजह से अब डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा रुपए चुकाने पडेंगे। ऐसे में विदेशों से आयात होने वाली चीजें महंगी हो जाएंगी। इलेक्ट्रोनिक्स के उपकरण जैसे विदेशी मोबाइल और विदेशी टेलिविजन का ज्यादा आयात होता हैं। तीसरे नंबर पर सोने का आयात किया जाता है। विदेशों में पढ़ाई और विदेश घूमने के लिए अभ ज्यादा खर्च करना पडेगा।
निर्यातकों के लिए फायदा
क्योंकि अब डॉलर मजबूत हो गया है, ऐसे में विदेशों से डॉलर में आने वाली हर पेमेंट को घरेलू स्तर पर रुपए में बदलने के लिए अब ज्याद रुपए मिलेंगे। यानि विदेशों को निर्यात होने वाली हर वस्तु या सेवा के बदले में जो पेमेंट आएगी उसपर ज्याद फायदा होगा। भारत से आईटी सेवाओं के साथ इंजिनीयरिंग गड्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, पेट्रोलियम उत्पाद और कई क्रषी आधारित उत्पादों का ज्यादा निर्यात होता हैं। ऐसे में रुपए में कमजोरी से इन तमाम सेक्टरों को फायदा पहुंच सकता हैं।