Rising prices: कोरोना संकट के दौर में दाल और तेल के बढ़ते भाव ने ऐसे बिगाड़ा है आम लोगों के किचन का बजट

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Rising prices: कोरोना संकट के दौर में दाल और तेल के बढ़ते भाव ने ऐसे बिगाड़ा है आम लोगों के किचन का बजट

हाइलाइट्स:

  • शहरी इलाकों में महंगाई की दर (Inflation Rate) 6 फ़ीसदी के करीब है।
  • ग्रामीण इलाकों में भी महंगाई बढ़ गई है और यह 6.5% पर पहुंच गई है।
  • ग्रामीण इलाके में महंगाई दर (Inflation Rate) बढ़ने की वजह से भारत का संकट बढ़ सकता है।

नई दिल्ली
पिछले कुछ दिनों से दाल और खाने वाले तेल की महंगाई (Food Inflation) ने लोगों के घरों का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। पिछले कुछ महीनों से सरसों तेल, रिफाइंड तेल और चना दाल, अरहर दाल एवं मूंग दाल के भाव में काफी तेजी आई है। दुनियाभर में कमोडिटी की कीमतें (Commodity prices) बढ़ रही हैं और इनका असर भारत के बाजार पर भी पड़ रहा है। पिछले 12 महीने में सूर्यमुखी के तेल में देश के महानगरों में 50 फ़ीसदी से अधिक की तेजी दर्ज की गई है। कोलकाता जैसे शहर में सूर्यमुखी तेल के भाव में 77 फ़ीसदी की तेजी दर्ज की गई है। सरसों तेल, palm oil और अन्य खाद्य तेल की कीमतों (Edible oil) में 30 फ़ीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

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महंगाई दर में इजाफा
अगर बात दालों (Pulses) की करें तो इसके भाव में भी काफी तेजी आई है। कोलकाता के खुदरा बाजार में पिछले 1 साल में चना दाल (Black Gram) के भाव में 25 फीसदी और अरहर दाल के भाव में 24 फ़ीसदी की तेजी आई है। दाल और खाद्य तेलों के भाव में यह तेजी सिर्फ कोलकाता में नहीं, पूरे देश में एक जैसी देखी जा रही है। सोमवार को आये खुदरा महंगाई के आंकड़ों (RPI) के हिसाब से मई में महंगाई की दर 6 महीने की ऊंचाई पर पहुंच कर 6.3 फ़ीसदी हो गई है।

RBI की बढ़ी चुनौती
इसकी वजह इंधन और खाने-पीने के सामान के भाव में आई तेजी है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सामने अब यह एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है कि वह महंगाई (Inflation) पर किस तरह काबू पाए। देश की आर्थिक ग्रोथ (GDP Growth) को पटरी पर लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पहले ही कई चुनौतियों से जूझ रहा है।

आमदनी घटी, खर्च बढ़ा
महंगाई दर (RPI) के आंकड़ों से पता चलता है कि तेल और घी के भाव में करीब 31 फ़ीसदी की तेजी दर्ज की गई है, जबकि दाल और उससे संबंधित प्रोडक्ट के भाव करीब 10 फ़ीसदी बढ़े हैं। भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना संकट (Covid Crisis) की वजह से मंदी का सामना कर रही है और आम लोग घटी हुई सैलरी, जॉब लॉस और भविष्य की अनिश्चितता से जूझते हुए महंगाई का मुकाबला कर रहे हैं।खाने-पीने के सामान के भाव में आई तेजी (Food Inflation) की वजह से अर्थशास्त्री भी आश्चर्यचकित हो गए हैं। अगर खाने के सामान और इंधन के भाव में संबंध की बात करें तो इंधन की बढ़ी कीमतों का खाने पीने की चीजों पर सीधा असर पड़ता है।

लोगों की बढ़ेगी परेशानी
नोमूरा के एक रिसर्च नोट में कहा गया है कि महंगाई दर में तेज वृद्धि का असर लोगों की परेशानी बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। जून में भी महंगाई दर में इजाफा होने की आशंका बढ़ गई है। महीने दर महीने आधार पर सब्जियों के भाव में 7 फीसदी की तेजी है। मई में यह 1.6 फीसदी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों के बढ़ते भाव की वजह से भारत में भी दबाव बना रह सकता है।

इंधन के भाव में तेजी
अगर इंधन की बात करें तो पेट्रोल के भाव (Petrol Prices) में महीने दर महीने के हिसाब से मई में 3 फ़ीसदी की तेजी दर्ज की गई। सरकार ने हालांकि इस अवधि में एलपीजी सिलेंडर के भाव में बदलाव नहीं किया है वरना महंगाई और मार लोगों पर पड़ सकती थी। इस बीच उद्योगों के लागत में वृद्धि आई है, जबकि निर्माण से होने वाला मुनाफा घट गया है। इस वजह से कंपनियां अब बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने की तैयारी कर रही हैं।

सर्विस इन्फ्लेशन पर असर
देश की अर्थव्यवस्था में अनलॉक शुरू होने के बाद अब सर्विसेज इन्फ्लेशन पर भी असर देखा जा सकता है। महंगाई दर के बढ़ते हुए (Food Inflation) आंकड़ों का मध्यम अवधि में असर पड़ने की आशंका है। खुदरा महंगाई (RPI) के आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में भी महंगाई बढ़ गई है और यह 6.5% पर पहुंच गई है। शहरी इलाकों में महंगाई की दर (Inflation Rate) 6 फ़ीसदी के करीब है। इकनॉमिस्ट का मानना है कि ग्रामीण इलाके में महंगाई दर (Inflation Rate) बढ़ने की वजह से भारत का संकट बढ़ सकता है।

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