45 साल के सबसे अधिक बेरोज़गारी के बीच “स्किल इंडिया” की हकीकत

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15 जुलाई 2015 को मोदी सरकार के द्वारा शुरू की गयी सबसे महत्वाकांक्षी योजना, स्किल इंडिया को तकरीबन 3 साल पूरे होने को हैं. इस योजना के तहत कई स्किल सेंटर और युवाओं को स्वरोजगार देने के दावे किये गये थे. अभी भी मिनिस्टरी ऑफ़ स्किल डेवलपमेंट की वेबसाइट पर तकरीबन 1 करोड़ लोगो को प्रतिवर्ष “स्किल” की शिक्षा देने का दावा किया जा रहा है. इस वक़्त जबकि देश में पिछले 45 सालों की सबसे ज्यादा बेरोजगारी के आंकड़े सामने आ रहे हैं तो ये समझ पाना कि स्किल इंडिया ने सचमुच गाँव-देश के पिछड़े युवाओं को स्वरोजगार और रोज़गार प्राप्त करने के लायक बनाया है, मुश्किल है.

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असल में इस योजना के तहत गाँव-देहात के सुदूर इलाकों के युवाओं को इस तरह से ट्रेंड करने की योजना है जिससे कि वे स्वयं अपने पैरो पर खड़े हो सकें. गाँव की महिलाओं को अगरबत्ती बनाने से लेकर, लड़को को ‘ड्राइवरी’ का गुर सिखाना हो या फिर मोबाइल रिपेयरिंग जैसा काम. इन सभी स्किल्स के माध्यम से युवाओं को उनके पैरो पर खड़े करने के दावे पर ये सरकार कितनी खरी उतरती है, आज इस बात की पड़ताल हम यहाँ पर करेंगे.

वैसे तो स्किल इंडिया के शुरुआत में सरकार के द्वारा बहुत से दावे किये गये थे, और बहुत सी योजनायें शुरू की गयी थी मसलन दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकाश योजना, अल्पसंख्यकों के लिए स्किल डेवलपमेंट और भी बहुत से कौशल केंद्र. लेकिन सरकार के इन दावों की जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. बहुत से गांवों में इन स्किल सेंटर्स की हालत खस्ता है. इन तीन साल के भीतर जहाँ इन योजनाओं को परवान चढ़ना चाहिए था, लेकिन इसके विपरीत कई कौशल केंद्र बंद पड़े हुए हैं. अब अगर ये केंद्र ही बंद पड़े हैं तो आखिर “स्किल” सीख कौन रहा है? और अगर स्किल कोई सीख नही रहा है तो फिर आखिर इस योजना से युवाओं को लाभ क्या हुआ है?

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बहुत सारे सवाल है जो शायद युवाओं को सरकार से पूछना चाहिए. आपको समझना चाहिए की राष्ट्रवाद और आतंकवाद का मुद्दा उछाल कर ज़रूरी मुद्दों को दरकिनार करना बिलकुल मूर्खता होगी. अब जबकि देश में बेरोज़गारी का स्तर पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है तो आपको समझना होगा की सरकार ने काम से ज्यादा प्रचार पर ध्यान दिया है. असल में वो युवा जो स्किल इंडिया के तहत ट्रेनिंग ले रहे हैं उनके लिए नौकरिया कहाँ हैं? नौकरियां पैदा करना सरकार का काम होता है, और सरकार अपने इस जिम्मेदारी को वहन करने में नाकाम होती नजर आ रही है.

जीएसटी और नोटबंदी जैसे सरकार के कदम की वजह से छोटे उद्योग-धंधो को कितना नुकसान पहुंचा है इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल नही है. स्किल इंडिया जैसे प्रोग्राम हमारे देश के लिए ज़रूरी तो है ही साथ में इसका क्रियान्वयन भी बेहद ज़रूरी पहलु है जिसपर सरकार नाकाम होती दिख रही है.