कांग्रेसी देशभक्ति बनाम भाजपाई राष्ट्रवाद

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कांग्रेस की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष प्रियंका गांधी ने कल देशभक्ति की नई परिभाषा गढ़ते हुए बोला कि ‘जागरूक होना ही सबसे बड़ी देशभक्ति है’ अगर पिछले दिनों के घटनाक्रम को देख जाय तो कमोबेस हर राजनीतिक दल देशभक्ति की नई परिभाषा बनाते नज़र आ रहे हैं. कभी एक विशेष पार्टी का समर्थन करना ही देशभक्ति बन जाती है, तो कभी उसका विरोध करने पर कोई राष्ट्रविरोधी घोषित हो जाता है. मूल रूप से बात देश के सद्भभावना की है. जिस तरह से पुलवामा हमले के बाद देश मे कश्मीरी निवासियों के साथ व्यहार हुआ, वो बेहद दुखद था. अगर यह राष्ट्रवाद का मानक है तो फिर आप गलत रास्ते पर हैं.

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राष्ट्रवाद का मतलब कोई उन्माद या उग्रता नहीं है, हमारे देश मे समन्वय की संस्कृति काफी पुराने समय से मौजूद है और आप उसको नकार नहीं सकते. हमारे संविधान में ही धर्म निरपेक्षता की बातें कही गयी है, अब अगर कोई विशेष पार्टी खुद को संविधान से भी ऊपर मानती है, तो वह तर्क से परे होगा. भारत मे सभी समुदाय और संस्कृति के लोग रहतें है, आपसी झगड़े, मतभेद सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिये उपजाए जातें है, वैसे भी आज के इस टेक्निकल युग में ‘जागरूकता’ बढ़ी ही है, लोकतांत्रिक उत्सव सामने आ रहा है. चुनाव में इन दलों का खेल समझे और सही चुनें.