राम रहीम ने बेटे का रास्‍ता पहले ही कर दिया था साफ

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हरियाणा के सिरसा में स्थित डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख बाबा राम रहीम दो साध्वियों के साथ रेप करने के मामले में जेल में बंद है। सीबीआई कोर्ट ने बाबा राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई है। यह केस साल 2002 में दर्ज किया गया था। बाबा राम रहीम को उसी वक्त अंदाजा हो गया था कि उसके साथ क्या होगा। ऐसे में बलात्कारी बाबा ने डेरे सच्चा सौदा के कई नियमों में बदलाव कर दिए थे। डेरा सच्चा सौदा की रिवाज है कि डेरा का उत्तराधिकारी डेरे प्रमुख के परिवार को कोई भी सदस्य नहीं बन सकता। लेकिन राम रहीम ने इस नियम को बदला दिया, ताकि उसके बेटे को डेरे की गद्दी मिल जाए।

बाबा राम रहीम ने साल 2004 में डेरे की डीड रजिस्टर करवाई थी, इसके तहत बाबा ने डेरे से संबंधित ज्यादात्तर अधिकार अपने पास रख लिए। इसके अलावा उन्होंने डेरे की संपत्ति दो हिस्सों में बांट दिया। एक हिस्सा डेरे के नाम तो दूसरा हिस्सा निजी बताया था। डेरे की जो डीड रजिस्टर करवाई गई थी, उसके मुताबिक डेरे के किसी भी मामले में डेरा प्रमुख को ही अधिकार लेने का फैसला है। इसके अलावा अहम बदलाव किया, वह था कि डेरा प्रमुख अपने परिवार के किसी भी सदस्य को उत्तराधिकारी बना सकता है। इससे पहले नियम था कि डेरा प्रमुख उसे ही बनाया जा सकता है, जो उसके प्रचार-प्रसार और भलाई के लिए काम करता हो।

डेरा का एक ट्रस्ट भी बनाया गया। डेरे के ट्रस्ट के 19 ट्रस्टी बनाए गए थे, जिसमें से एक बाबा राम रहीम का बेटा जसमीत इंसां भी शामिल था। लेकिन बताया जा रहा है कि ज्यादातर ट्रस्टी ने छोड़ दिया है और जो नए ट्रस्टी बनाए गए हैं, उनकी जानकारी सरकारी रिकॉर्ड्स में नहीं है। इस ट्रस्ट में कम से कम पांच और ज्यादा से ज्यादा 11 सदस्य होने चाहिएं। जो डीड साल 2004 में रजिस्टर करवाई गई थी उसके मुताबिक ट्रस्ट की कार्यकारिणी के सदस्यों की मनोनीत भी ट्रस्ट के संरक्षक यानि डेरा प्रमुख की सहमति के बिना नहीं होगा।