घट रही है पोषकता, बड़ी आबादी को करना पड़ सकता है सामना।

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वैश्विक तापमान के कारण बढ़ोतरी से वर्ष 2050 तक भारत में 5.30 करोड़ लोगो में प्रोटीन की कमी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने यह चेतवानी दी है। उन्होंने कहा,मानवीय गतिविधियों से होने वाले कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन से चावल, गेहूं और अन्य मुख्य अनाजों की पोषकता में कमी आने का खतरा है, जिससे बड़ी आबादी में प्रोटीन की कमी हो सकती है।

अमेरिका के हावर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्तओं के अध्ययन के अनुसार, अगर कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो वर्ष 2050 तक 18 देशो की आबादी के भोजन में मौजूद प्रोटीन में 5% से अधिक की कमी हो सकती है । इसके अनुसार वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के लगातार बढ़ते स्तर के कारण 15 करोड़ अतिरिक्त लोगों में प्रोटीन की कमी का खतरा पैदा हो सकता है।

हावर्ड के वरिष्ठ शोधकर्ता सैमुअल मायर्स ने कहा, अध्य्यन में इस बात पर जोर दिया गया है वे देश अपनी आबादी की पोषण की पर्याप्तता की निगरानी करें और मानवीय गतिविधियों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन पर लगाम लगाए। वैश्विक तौर पर 76% आबादी प्रोटीन की जरूरतें फसलों से पूरी करती है।

शोधकर्तओं के मुताबिक़ गेहूं, चावल और आलू की पोषकता घट रही है। आहार में प्रोटीन की कमी के मौजूदा और भावी खतरे का आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसी फसलों और उनसे मिलने वाले खाद्य की वैश्विक आबादी की गतिविधियों के कारण उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड के सम्पर्क में किस हद तक आ रही है। विश्लेषण के मुताबिक़ गेहू, चावल, जों और आलू में प्रोटीन की मात्रा में क्रमश: 7.8, 7.6, 14.1 और 6.4 फीसदी की कमी आई है। यह अध्ययन ‘एन्वॉयरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है ।