पेशकार व वकील के चक्कर काटने से मिलेगा छुटकारा

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अधिवक्ताओं एवं वादकारियों के लिए खुशखबरी है। राजस्व न्यायालयों के वादों की सूचना अब एसएमएस के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। जी हां! राजस्व परिषद ने यह नई पहल की है। राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली आरसीसी एमएस के तहत वादों की सूचना एसएमएस के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने के लिए पोर्टल पर व्यवस्था कर ली गई है। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए वादकारियों, अधिवक्ताओं, पेशकार एवं पीठासीन अधिकारियों के मोबाइल नंबर को राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल पर फीड किया जाएगा।

Practitioner and lawyer will get relief from biting 1 news4social 1 -

राजस्व परिषद की ओर से सभी मंडलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को इस बावत पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल पर मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को कुल अन अद्यतनीकृत वादों की सूचना एसएमएस के माध्यम से निरंतर सुचारू रूप से भेजी जा रही है। इसी क्रम में वादकारियों, अधिवक्ताओं को वादों की स्थिति उपलब्ध कराने तथा न्यायालयों के पेशकार, पीठासीन अधिकारियों को अन-अद्यतनीकृत वादों की सूचना एसएमएस के माध्यम से भेजने के लिए पोर्टल पर व्यवस्था कर ली गई है।

इस व्यवस्था को लागू करने के लिए वादकारियों, अधिवक्ताओं, पेशकार एवं पीठासीन अधिकारियों के मोबाइल नंबर को राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल पर भरा जाना आवश्यक होगा। पेशकार एवं पीठासीन अधिकारियों के प्रोफाइल को क्लिक करके मोबाइल नंबर को भरा जाएगा। इसके अलावा वाद का पंजीकरण करते समयए वाद को स्थानांतरित करते समय तथा वाद की अगली तिथि लगाए जाने के समय वादकारियों एवं अधिवक्ताओं के मोबाइल नंबर यथा संभव भरे जाएंगे।

इसके लिए बाकायदा प्रोफाइल तैयार किया गया है। इसमें अधिकारी, वादी-प्रतिवादी के अधिवक्ताओं तथा वादी-प्रतिवादी का मोबाइल नंबर फीड किया जाएगा। एडीएम प्रशसन एसपी गुप्ता ने बताया कि आयुक्त एवं सचिव आलोक कुमार के भेजे गए निर्देश के क्रम में राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

ऑनलाइन दर्ज हो सकेगी विरासत

डिजिटल इंडिया ने तहसील कचहरी की भाग दौड़ न करने वालों के लिए एक काम आसान कर दिया। जमीन की विरासत दर्ज कराने को अब लेखपाल और दूसरे राजस्व कर्मियों के साथ कोर्ट के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। बल्कि मृत्यु प्रमाण पत्र और उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के साथ प्रोफार्म नंबर 9 भरना होगा। जांच प्रक्रिया पूरी होते ही ऑनलाइन वरासत दर्ज हो जाएगी। राजस्व दस्तावेज का नाम आते ही हर किसी को मुसीबत नजर आती है। सरकार द्वारा इस प्रक्रिया को आसान बनाने की कवायद हो रही है। ताकि लोगों को उनके आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध हो जाए। इसी प्रक्रिया के तहत अब भूमि दस्तावेजों को डिजिटल इंडिया से जोडऩे की तैयारी कर ली गई है।

इसके बाद होगा विस्तार

पहले चरण में खसरा, खतौनी को ऑनलाइन करने की तैयारी कर ली गई है। इसके बाद इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे और विस्तृत किया गया। अब शासन ने जमीनों के दस्तावेज में दर्ज होने वाली विरासत को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। एसडीएम मोहनलालगंज चंदन पटेल ने बताया कि जल्द यह व्यवस्था लागू होगी।

लेखपाल करेगा आवेदन की जांच

इसे पहले चरण में विरासत दर्ज कराने वाले आवेदक को भूमि स्वामी का मृत्यु प्रमाण पत्र और उत्तराधिकार आदि प्रमाण पत्र क्षेत्रीय लेखपाल को देते हुए एक आवेदन पत्र भरवाना होगा। इसके बाद लेखपाल द्वारा उस पर जांच रिपोर्ट दर्ज कर आवेदक के दावे से संतुष्ट होते हुए उसे कंप्यूटर पर दर्ज कर ऑनलाइन दर्ज कर दिया जाएगा। इसके बाद आवेदक निर्धारित वेबसाइट पर जाकर आसानी खतौनी और वरासत से जुड़े दस्तावेज देख सकेगा। मोबाइल नंबर दर्ज करते ही मिलेगा पासवर्ड

कोट-

विरासत दर्ज करने के लिए आवेदक को राजस्व संहिता की धारा 31/1 के अंतरगत उत्तराधिकार गऔार्म प्रपत्र 9 भरना होगा। साथ ही लेखपाल द्वारा निर्धारित आवेदन गऔार्म पर आवेदक का मोबाइल नंबर भी भरना होगा। उसी मोबाइल नंबर के साथ पासवर्ड भी मिलेगा। एसपी गुप्ता, एडीएम प्रशासन।